जौनपुर: पूविवि कर्मचारी संघ ने कुलपति को सौंपा ज्ञापन | #AAPKIUMMID
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जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ ने बुधवार को कुलपति को ज्ञापन सौंप कर सरकार की नई शिक्षा का विरोध किया। कुलपति को दिए गए ज्ञापन में कर्मचारियों ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप का अध्ययन किया गया तो पाया गया कि यह देश के शिक्षा के विकास में कई विरोधाभास पैदा करने वाली है।
हम जीडीपी का शिक्षा पर 6 प्रतिशत खर्च करने के प्रावधान का स्वागत करते है। इस नीति के प्रारूप में शिक्षा नीति 1968 और 1986 की बातों की पुर्नावर्ती की गयी है। जिसमें 1968 और 1986 में चिंता जताने के बावजूद 2017-18 तक शिक्षा पर जीडीपी का 2.7 प्रतिशत ही खर्च किया जा रहा है। विवि एंव उच्च शिक्षा संस्थानों के कुलपति एंव निदेशक दैनिक वेतन भोगी संविदा कर्मी आउटसोर्सिग कर्मियों के सहयोग से विश्वविद्यालयों और संस्थानों को नहीं चला सकते। क्योंकि विश्वविद्यालय व शैक्षणिक संस्थानों की संचालन कार्य प्रणाली अन्य संस्थानों से भिन्न है।
वर्तमान में सभी विवि एंव संस्थानों में औसतन 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत पद खाली पड़े है। परिणाम स्वरूप अकादमी काउसंलिग, परीक्षा संचालन, प्रश्न पत्रों की निर्माण-प्रकिया, शोेध गतिविधि की कार्य स्थिति बिगड़ती है। शिक्षा के निजीकरण का ही परिणाम है। प्रकिया के संचालन गैर शैक्षिक कर्मियों का ही प्रमुख योगदान होता है। उच्च शिक्षण संस्थानों में तत्काल समान्य और विशेषतर गैर शैक्षिक कर्मियों की स्थाई भर्ती की जाए। इसके लिए केन्द्र और राज्य सरकारे बजट आवंटित करें। विश्वविद्यालय में गैर शैक्षिक कर्मियों के आवास की उचित और व्यवस्था की जाए।
ज्ञापन देने वालों में कर्मचारी संध के अध्यक्ष अमलदार यादव , महामंत्री डा. स्वतंत्र कुमार, राजेश सिंह सहायक कोषाध्यक्ष अखिल भारतीय विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ, एसबीएच रिजवी, श्याम त्रिपाठी, अंजनी तिवारी, रामजी सिंह, केशव यादव, सहनवाज खांन, शारदा नन्द, राम सेवक यादव, श्याम श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।
हम जीडीपी का शिक्षा पर 6 प्रतिशत खर्च करने के प्रावधान का स्वागत करते है। इस नीति के प्रारूप में शिक्षा नीति 1968 और 1986 की बातों की पुर्नावर्ती की गयी है। जिसमें 1968 और 1986 में चिंता जताने के बावजूद 2017-18 तक शिक्षा पर जीडीपी का 2.7 प्रतिशत ही खर्च किया जा रहा है। विवि एंव उच्च शिक्षा संस्थानों के कुलपति एंव निदेशक दैनिक वेतन भोगी संविदा कर्मी आउटसोर्सिग कर्मियों के सहयोग से विश्वविद्यालयों और संस्थानों को नहीं चला सकते। क्योंकि विश्वविद्यालय व शैक्षणिक संस्थानों की संचालन कार्य प्रणाली अन्य संस्थानों से भिन्न है।
वर्तमान में सभी विवि एंव संस्थानों में औसतन 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत पद खाली पड़े है। परिणाम स्वरूप अकादमी काउसंलिग, परीक्षा संचालन, प्रश्न पत्रों की निर्माण-प्रकिया, शोेध गतिविधि की कार्य स्थिति बिगड़ती है। शिक्षा के निजीकरण का ही परिणाम है। प्रकिया के संचालन गैर शैक्षिक कर्मियों का ही प्रमुख योगदान होता है। उच्च शिक्षण संस्थानों में तत्काल समान्य और विशेषतर गैर शैक्षिक कर्मियों की स्थाई भर्ती की जाए। इसके लिए केन्द्र और राज्य सरकारे बजट आवंटित करें। विश्वविद्यालय में गैर शैक्षिक कर्मियों के आवास की उचित और व्यवस्था की जाए।
ज्ञापन देने वालों में कर्मचारी संध के अध्यक्ष अमलदार यादव , महामंत्री डा. स्वतंत्र कुमार, राजेश सिंह सहायक कोषाध्यक्ष अखिल भारतीय विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ, एसबीएच रिजवी, श्याम त्रिपाठी, अंजनी तिवारी, रामजी सिंह, केशव यादव, सहनवाज खांन, शारदा नन्द, राम सेवक यादव, श्याम श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।