जौनपुर: जेएमवी कंपनी के निदेशक समेत पांच पर धोखाधड़ी का केस दर्ज | #AAPKIUMMID
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जौनपुर। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश पर सरायख्वाजा थाने में जेएनवी टूर एंड ट्रेवल्स लिमिटेड कंपनी के निदेशक समेत पांच आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी व कूट रचना का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने प्राथमिकी की कॉपी न्यायालय में प्रस्तुत की है।
जयप्रकाश सिंह निवासी सरायख्वाजा ने कोर्ट में जेएमवी कंपनी के निदेशक अशोक कुमार भारद्वाज, अनिल,रमेश बृज बिहारी व गुलाबचंद के खिलाफ अधिवक्ता उपेंद्र विक्रम सिंह व विवेक रंजन तिवारी के माध्यम से मुकदमा दायर किया कि आरोपियों ने खुद को जेएमवी टूर एंड ट्रेवल्स लिमिटेड कंपनी का मालिक बताया और कहा कि 6000 देकर जो व्यक्ति कंपनी को ज्वाइन करेगा उसे हर महीने 3000 कंपनी के तरफ से पुरस्कार मिलेगा तथा 15 महीने तक रुपया दिया जाएगा।जो दूसरों को कंपनी में जुड़ेगा उसे अलग से कमीशन मिलेगा।
कंपनी को रजिस्टर्ड बताया गया तथा मिनिस्ट्री ऑफ कार्पोरेशन अफेयर से भी पंजीकृत होना बताया गया। पहचान पत्र व अन्य कागजात लेकर लोगों को कंपनी से जोड़ा गया।वादी ने 6000 देकर कंपनी ज्वाइन किया। आरोपियों के बहकावे में आकर वादी ने 436 लोगों को कंपनी से ज्वाइन कराया और करीब 26 लाख रुपया लोगों का कंपनी में जमा कराया।कंपनी बाकायदे सेमिनार भी आयोजित करती रही लेकिन जब रुपए देने का समय आया तो अधिकारियों ने दूरियां बना ली तथा रुपए मांगने पर टाल जाते थे। यह भी जानकारी मिली कि आरोपियों ने उन्हीं रुपयों से अपने नाम पर कई जगह जमीन की खरीदारी की।
असलियत यह थी कि कंपनी बंद हो चुकी थी।यह सभी आरोपी लोगों को छल से विश्वासघात करके रुपए ऐंठते थे। वादी ने जब अपने रुपए मांगे तो उसे आरोपियों ने गालियां व जान से खत्म करने के लिए धमकाया। पुलिस अधिकारियों को दरखास्त देने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई तब वादी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ।
जयप्रकाश सिंह निवासी सरायख्वाजा ने कोर्ट में जेएमवी कंपनी के निदेशक अशोक कुमार भारद्वाज, अनिल,रमेश बृज बिहारी व गुलाबचंद के खिलाफ अधिवक्ता उपेंद्र विक्रम सिंह व विवेक रंजन तिवारी के माध्यम से मुकदमा दायर किया कि आरोपियों ने खुद को जेएमवी टूर एंड ट्रेवल्स लिमिटेड कंपनी का मालिक बताया और कहा कि 6000 देकर जो व्यक्ति कंपनी को ज्वाइन करेगा उसे हर महीने 3000 कंपनी के तरफ से पुरस्कार मिलेगा तथा 15 महीने तक रुपया दिया जाएगा।जो दूसरों को कंपनी में जुड़ेगा उसे अलग से कमीशन मिलेगा।
कंपनी को रजिस्टर्ड बताया गया तथा मिनिस्ट्री ऑफ कार्पोरेशन अफेयर से भी पंजीकृत होना बताया गया। पहचान पत्र व अन्य कागजात लेकर लोगों को कंपनी से जोड़ा गया।वादी ने 6000 देकर कंपनी ज्वाइन किया। आरोपियों के बहकावे में आकर वादी ने 436 लोगों को कंपनी से ज्वाइन कराया और करीब 26 लाख रुपया लोगों का कंपनी में जमा कराया।कंपनी बाकायदे सेमिनार भी आयोजित करती रही लेकिन जब रुपए देने का समय आया तो अधिकारियों ने दूरियां बना ली तथा रुपए मांगने पर टाल जाते थे। यह भी जानकारी मिली कि आरोपियों ने उन्हीं रुपयों से अपने नाम पर कई जगह जमीन की खरीदारी की।
असलियत यह थी कि कंपनी बंद हो चुकी थी।यह सभी आरोपी लोगों को छल से विश्वासघात करके रुपए ऐंठते थे। वादी ने जब अपने रुपए मांगे तो उसे आरोपियों ने गालियां व जान से खत्म करने के लिए धमकाया। पुलिस अधिकारियों को दरखास्त देने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई तब वादी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ।