• गंगा में पीपे पर बनने वाले मंच को लेकर आयोजक एवं प्रशासन आमने-सामने
  • राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सहित केन्द्रीय मंत्री व सुरक्षा जवानों के अधिकारी होंगे कार्यक्रम के मेहमान

सुरेश गांधी
वाराणसी। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की नगरी अयोध्या में सकुशल दीवाली संपंन होने के बाद अब कुछ उसी अंदाज में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भव्य देव दीपावली मनाने की तैयारी में प्रशासन जुट गया है। यह अलग बात है कि व्यवस्थाओं के देखते हुए प्रशासन ने गंगा पर बनने वाले मंच का आकार छोटा कर दिया है, जो आयोजकों के लिए परेशानी का सबक बन गया है। आयोजक अपनी बात पर अड़े है कि वे पिछली बार की तरह इस बार भी अपने मंच यथावत रखेंगे। उनका कहना है कि प्रशासन को अगर फेरबदल करनी थी तो उसकी सूचना पहले ही देनी चाहिए थी। चूकि अब जब कार्यक्रम का पूरा शिड्यूल तय हो चुका है तो प्रशासन उन्हें तंग ना करें। फिरहाल, शहर के अस्सी घाटों के आयोजकों की मानें तो इस बार तकरीनब ढाई लाख दीयों से काशी के घाट रोशन होंगे। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है।
दशाश्वमेघ गंगा सेवा निधि के आयोजक मंडल के मुताबिक इस बार यूपी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मुख्य अतिथि बनाया गया है। उनके साथ केन्द्रीय मंत्री डा महेन्द्रनाथ पांडेय सहित रेलवे के डीआरएम एवं एनडीआरएफ के डीजी सहित कई विशिष्टजन प्रमुख मेहमान होंगे। बता दें, काफी ना नुकूर के बाद देव दीपावली पर गंगा में पीपे पर बनने वाले मंच बनाने के लिए प्रशासन ने अनुमति दे दी है। लेकिन कुछ शर्तें के साथ इस वर्ष मंच का आकार पूर्व से आधा कर दिया है। साथ में चेताया भी है कि अगले वर्ष से पीपा पर मंच नहीं बनाया जाएगा। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि दशाश्वमेध व शीतला घाट पर पीपा पर बनाए जाने वाले मंच के कारण देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को देव दीपावली की छटा नहीं दिखती थी। पुलिस सुरक्षा के दृष्टिगत भी गंगा में कोई मंच बनाने के पक्ष में नहीं थी। इसी के मद्देनजर मंच बनाने पर गत दिनों रोक लगा दी गई थी। इसके बाद मंच लगाने वाले आयोजकों ने कमिश्नर से आग्रह किया कि उन लोगों ने पीपा पर बनने वाले मंच के लिए अतिथियों को निमंत्रण कार्ड वितरित कर दिया है। अब अगर मंच नहीं बनाया जाएगा तो छवि खराब होगी। कमिश्नर ने बताया कि इसी व्यावहारिक जरूरत को ध्यान में रखते हुए मंच बनाने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी गई है। सुरक्षा और मंच की वजह से गंगा में नावों पर देव दीपावली की छटा देखने के लिए आए लोगों को परेशानी न हो इसलिए उसके आकार को आधा कर दिया गया है। इसका आयोजकों को कड़ाई से पालन करने के लिए कहा गया है। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है।
घाटों की सफाई में जुटा प्रशासन
नगर आयुक्त गौरांग राठी के निर्देश पर घाटों की सफाई अभियान तेज कर दी गयी है। आयुक्त सभागार में देव दीपावली के संदर्भ में गंगा नदी के नाविक संगठनों के साथ बैठक की। इसमें नाविकों को सुरक्षा उपकरणों का मानक के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। वाराणसी नगर निगम द्वारा द्वारा वर्तमान में बढ़ते प्रदूषण को दृष्टिगत रखते हुए नगर निगम सीमा अंतर्गत आने वाले समस्त निर्माण स्थल पर रखे निर्माण सामग्री को ढकने की कार्रवाई करने के साथ ही आवश्यकतानुसार दोनों पारियों में जल का छिड़काव कराया जा रहा है जिनके द्वारा सुरक्षा मानकों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है उनके खिलाफ जोनल अधिकारियों के स्तर पर गठित टीम के द्वारा कार्यवाही भी की जा रही है।
दूधिया रोशनी से नहाएंगे गंगा पथ
नगर आयुक्त गौरांग राठी ने तय किया है कि इस बार की देव दीपावली में आने वाले मेहमानों व श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत किया जाएगा। प्राथमिक तैयारी के मद्देनजर दूधिया रोशनी में गंगा के पथ नहाएंगे। शहर का प्रवेश द्वार तिरंगा रंग में होगा जो राष्ट्र भक्ति के जज्बे को सातवें आसमान पर पहुंचाएगा। पूरे नगर में रोशनी इस कदर बिखरेगी कि मेहमानों के मन का कोना-कोना रोशन हो जाएगा। नगर आयुक्त ने बताया कि तीन रंग में रोशनी के लिए लाइटों की खरीद की जाएगी। एयरपोर्ट से रास्ते नगर का प्रवेश द्वार तिरंगे रंग में होगा। कैंट रेलवे व बस स्टेशन भी जगमाएगा। सबसे खास होगा कि गोदौलिया से दशाश्वमेध घाट, आरपी घाट का रास्ता दूधिया रंग में रोशन होगा। ऐसे ही अस्सी को जाने वाले रास्ते पर भी दूधिया रोशनी बिखेरी। घाट, पेड़, हेडिटेज पोल आदि सभी सजाए जाएंगे। स्थानीय थीम के मुताबिक नगर के प्रमुख चौराहे भी रंगे जाएंगे।
तुलसीघाट पर दिखेगा कश्मीर का नजारा
हर साल कुछ अलग पेश करने वाले तुलसी घाट पर इस बार काशी टू कश्मीर थीम पर भव्य आयोजन किया जाएगा। 50 फीट ऊंचे कट आउट पर एक तरफ काशी और दूसरे तरफ कश्मीर होगा। काशी और कश्मीर के बीच विशाल लाल चौक पर लहराता तिरंगा भी होगा। इस कलाकृति में एक तरफ काशी की विशेषताएं तो दूसरी तरफ कश्मीर की पहचान कहे जाने वाले प्रमुख स्थल दिखाए जाएंगे। काशी के हिस्से में विश्वनाथ मंदिर, गंगा, सारनाथ तो दूसरी तरफ कश्मीर के चश्मे शाही, हजरतबल, डल झील के शिकारे लाल चौक पर लहराते तिरंगे के बीच दिखाए जाएंगे। इस कलाकृति को उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और बिहार के कलाकारों की टीम ने मिलकर डिजाइन किया है। संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भर नाथ मिश्र के सानिध्य में होने वाले आयोजन के परिकल्पनाकार न्यूरोलॉजिस्ट डॉ बीएन मिश्रा ने बताया कि यह महोत्सव भारत की सांस्कृतिक एकता का परिचायक होगा। काशी टू कश्मीर थीम पर होने वाले इस आयोजन में दक्षिण भारत के महान पखावजी पद्मभूषण यल्ला वेंकटेश्वर का पखवाज वादन होगा। इस अवसर पर काशी के सामाजिक सांस्कृतिक शैक्षिक उत्थान में योगदान करने वाले कश्मीर की विभूतियों का सम्मान भी किया जाएगा। कट आउट बना रहे कलाकारों ने काशी टू कश्मीर थीम पर बनने वाले कटआउट का मॉडल बुधवार की शाम तुलसी घाट स्थित आवास पर प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र को भेंट किया गया। कलाकारों की इस टीम में मूर्तिकार राजेश कुमार के नेतृत्व में महाराष्ट्र के प्रभात ठाकुर व दिवाकर, पटना के रवि कुमार, बनारस के आशीष कुमार, नीलेश और अनिल कुमार मिलकर काम कर रहे हैं।
बड़ी संख्या में देश विदेश से जुटते है सैलानी
इस वर्ष देव दीपावली 12 नवंबर को मनाई जाएगी। दीपावली के 15 दिनों बाद काशी की देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन शाम के समय वाराणसी में मंदिरों और गंगा के घाटों को दीयों से जगमग कर दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी देवी-देवता दीपावली मनाते हैं और भगवान शिव की नगरी काशी जाते हैं। कहते है ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने देव दीपावली को महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है। ऐसे में इस दिन स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना करने से अनन्त फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सायंकाल के समय मत्स्यावतार हुआ था, इसलिए आज के दिन दान आदि करने से 10 यज्ञों के समान फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन संध्या के समय गंगा पूजन किया जाता है। गंगा पूजन के पश्चात काशी के 80 से अधिक घाटों पर दीपक जलाए जाते हैं। उन दीपकों के प्रकाश पूरी काशी जगमग हो जाती है, उस रात की अलौकिक छठा देखते ही बनती है। इस दिन श्रीसत्यनारायण व्रत की कथा सुनना चाहिए। फिर शाम के समय मन्दिरों, चौराहों, गलियों, पीपल के वृक्षों तथा तुलसी के पौधों के पास दीपक जलाएं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा जी को दीपदान भी किया जाता है। स्कन्दपुराण के काशी खण्ड के अनुसार, देव दीपावली वाले दिन कृत्तिका में भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय का दर्शन करें, तो ब्राह्मण सात जन्म तक वेदपारग और धनवान होते हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार, देव दीपावली के दिन चन्द्रोदय के समय शिवा, सम्भूति, प्रीति, संतति, अनसूया और क्षमा- इन छः कृत्तिकाओं का विधि विधान से पूजन करें, तो शौर्य, धैर्य, वीर्यादि बढ़ते हैं।
गंगा स्नान का है खासा महत्व
कार्तिक मास में पूरे मास स्नान का अत्यधिक महत्व है। जो लोग पूरे मास स्नान करते हैं, उनका व्रत कार्तिक पूर्णिमा के स्नान से पूर्ण होता है। स्नान आदि के बाद गाय, हाथी, रथ, घोड़ा और घी का दान करने से संपत्ति में वृद्धि होती है। इस दिन नक्तव्रत करके बैल का दान करने से शिवपद प्राप्त होता है। ब्रह्मपुराण के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन उपवास करने और भगवान का स्मरण करने से अग्निष्टोम के समान फल प्राप्त होकर सूर्य लोक की प्राप्ति होती है।

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