सुजानगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के बरईपार बाजार के वारी गांव में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर कथावाचक शैलेंद्रयाचार्य महाराज ने हवन और यज्ञ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए बोले कि हमारे हिन्दू सनातन धर्म में पूजा का सबसे अच्छा मार्ग हवन और यज्ञ है तो इसमें किसी को कोई शंका नहीं होगी। इस विधि से भगवान को सदियों पहले से ही हमारे ऋषि मुनि रिझाते हुए आये हैं। यज्ञ को अग्निहोत्र कहते हैं। अग्नि ही यज्ञ का प्रधान देवता है। हवन में डाली गयी सामग्री प्रसाद सीधे हमारे आराध्य देवी देवताओं तक पवित्र अग्नि के माध्यम से जाता है। हवन का एक सबसे अच्छा लाभ यह है कि इसके धुएं से वातावरण शुद्ध होता है।

कुण्ड में अग्नि के माध्यम से भगवान के निकट हवि पहुँचाने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं। हवि, हव्य अथवा हविष्य वह पदार्थ हैं जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती है (जो अग्नि में डाले जाते हैं)। समिधा का अर्थ है वह लकड़ी जिसे जलाकर यज्ञ किया जाए अथवा जिसे यज्ञ में डाला जाता है। यह मुख्य रूप से शमी के पेड़ की होती है। इसके अलावा पीपल, बिल्व, आम, हेमन्त, खैर बड़ आदि की लकड़ी काम में ली जाती है। यह इनकी उपलब्ता के आधार पर काम में प्रयोग में आती है।
हवन से होने वाले लाभ
पूजा विधियों में पंचोपचार और षोडशोपचार पूजन विधि को मुख्य माना जाता है परंतु यदि आप देवता को प्रसन्न करने के लिए हवन करेंगे तो यह सबसे उत्तम पूजा विधि मानी जाएगी। हवन की पवित्र अग्नि के माध्यम से हम अपनी प्रभु के लिए सेवा उन तक पहुंचाते हैं।
विज्ञान भी मानता है यज्ञ का महत्त्व
स्वास्थ्य के नजरिये से यज्ञ की पवित्र अग्नि के धुएं से वातावरण के कीटाणु और हानिकारक जीव नष्ट होते है जिससे शुद्धिकरण होता है। हवन में हव्य जैसे फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि मिलकर वायुमण्डल को स्वास्थ्यकर बनाते हैं। अत: यह वैज्ञानिक द्रष्टि से भी अत्यंत महत्व रखता है। हवन करने वाले और आस पास के व्यक्ति के शरीर को शुद्ध करती है। इसके पूर्व आयोजक रामलखन यादव ने लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर पंकज यादव, शुशांत यादव, अम्बुज यादव, प्रधानाचार्य प्रदीप यादव, पूर्व विधायक लाल बहादुर यादव, राजेन्द्र यादव, मुन्ना, अशोक यादव आदि उ​पस्थित रहे।



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