वाराणसी। राजा तालाब तहसील में उस समय सारे अधिकारियों की नजर एक नन्ही सी बच्ची पर रूक गयी जब वह अपने हाथों में तिरंगा लेने के साथ ही अपने पूरे शरीर पर तिरंगे का कलर बनाकर पहुंच गयी। उसने एक प्रार्थना पत्र उपजिलाधिकारी राजा तालाब अमृता सिंह को दिया जिस पर उन्होंने पूछा कि आपका नाम क्या है तो उसने बताया मेरा दृष्टि है।
मैं एक संदेश लेकर आयी हूं और समाज में एक संदेश देना चाह रही हूं कि हम बेटी हैं और 1 दिन हम मां भी बनूंगी, फिर भी हमें पेट में ही मार दिया जाता है जबकि नारा दिया गया है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ। मैं यानी आपकी अपनी बेटी यह पूछ रही हूं कि हम लोगों को पैदा होने से पहले ही क्यों मार दिया जाता है। आखिर मैं भी तो जीना चाहती हूं। उसने हाथ जोड़कर सभी लोगों से विनती किया कि आप लोग जात-पात या धर्म के नाम पर मत लड़िये। आपको मालूम नहीं कि जब देश स्वतंत्र हुआ तो सभी जाति और धर्मों के लोगों ने देश को आजाद कराया और आपसी भाईचारे से सारे लोग आंदोलन किये।
दृष्टि ने यह भी कहा कि हमें पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखना चाहिये। कूड़ा हमेशा कूड़ेदान में ही डालना चाहिये। इन्हीं सब बातों को मैं अपने माध्यम से लोगों को बताना चाहती हूं कि आप लोग मेरी कही बातों को ध्यान से सुनिये और उसका अनुसरण कीजिये। दृष्टि के साथ उसके पिता अश्वनी मिश्रा भी थे।दृबता दें कि दृष्टि जनपद के बहेड़वा मिर्जा मुराद की निवासी है।




DOWNLOAD APP