जौनपुर। रामलीला समिति हुसेनाबाद द्वारा नारद मोह, रामजन्म, ताड़का वध, धनुष यज्ञ और परशुराम-लक्ष्मण संवाद की लीला का मंचन किया गया। रामलीला की शुरूआत नारद मोह से हुआ जिसके बाद रामजन्म का मंचन किया गया। यज्ञ को भंग करने आयी ताड़का का भगवान श्रीराम व लक्ष्मण ने वध किया।
जौनपुर नगर के हुसेनाबाद के रामलीला
के शुभारम्भ अवसर पर लीला करते पात्र।
ताड़का वध के बाद भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और विश्वामित्र जनकपुरी पहुंचे। धनुष यज्ञ में राजा जनक ने दूर-दूर के राजाओं को आमंत्रण दिया। राजा-महाराजाओं ने भागीदारी करके सीता माता के साथ विवाह करने की इच्छा जाहिर किया लेकिन माता से विवाह करने के लिये कोई भी धनुष तोड़ना तो दूर, उसे हिला भी नहीं सका। गुरू की आज्ञा लेने के बाद भगवान श्रीराम ने जैसे ही धनुष तोड़ा, वैसे ही रामलीला प्रांगण में बैठे दर्शकों ने तालियां बजायी और जयश्री राम के नारे लगाये।
लीला मंचन में दशरथ की भूमिका मोहन जी मिश्र, राम की विशू श्रीवास्तव, लक्ष्मण की राज रावत, सीता की सुमित रावत, रावण की राजेश यादव, बाणासुर की विनोद शुक्ला, परशुराम की गगन तिवारी, विश्वामित्र की भूमिका छोटू श्रीवास्तव ने निभायी।




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