जौनपुर। मीरगंज थाना क्षेत्र निवासी पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने एवं दुष्कर्म के मुकदमे में दबाव बनाने के लिए दोबारा सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सूचना न देने पर एसपी कार्यालय के जनसूचना अधिकारी को राज्य सूचना आयोग ने तलब किया है। पीड़िता की मां ने जन सूचना अधिकारी पुलिस अधीक्षक से विवेचनात्मक लापरवाही के संबंध में विवेचक के विरुद्ध क्या कार्यवाही हुई। पीड़िता के बयान के बावजूद गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई आदि सूचनाएं मांगी गई। नियत समय के भीतर सूचना न देने पर राज्य सूचना आयोग में अपील की गई। राज्य सूचना आयोग ने जन सूचना अधिकारी को तलब कर लिया कि सूचना क्यों नहीं दी गई।

मीरगंज थाना क्षेत्र के सामूहिक दुष्कर्म का मामला दीवानी न्यायालय में विचाराधीन है। आरोप है कि 2017 में रोहित,रानू आदि ने वादिनी की पुत्री के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। मुकदमा दर्ज हुआ जिसमें पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल किया। उसका विचारण चल रहा है। मुकदमे में दबाव बनाने के लिए दोबारा 22 मई 2018 को उसकी लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। कोर्ट के आदेश पर उसकी भी प्राथमिकी दर्ज हुई। पुत्री ने पुलिस व मजिस्ट्रेट को दिए बयान में घटना का समर्थन किया। लेकिन विवेचक ने आरोपियों से मिली भगत कर प्राइवेट संस्थान में उनकी उपस्थिति के संबंध में फर्जी दस्तावेजों को प्राप्त कर मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दिया।
विवेचक द्वारा सीसीटीवी फुटेज को प्राप्त करने का उल्लेख भी किया गया लेकिन उसको संकलित नहीं किया गया। जबकि केस डायरी में पीड़िता के बयान मेडिकल एवं अन्य कागजात से घटना साबित होती है। वादिनी ने अपने अधिवक्ता उपेंद्र विक्रम के माध्यम से विरोध याचिका दाखिल की जिसमें कोर्ट ने घटना के समय आरोपितों की उपस्थिति विवेचक द्वारा केरल डायरी में अन्यत्र होना दर्शाई गई है। आरोपित रोहित की उपस्थिति वीवो कंपनी में दिखाई गई है। उसका सीसीटीवी फुटेज परीक्षण विधि विज्ञान प्रयोगशाला से नहीं कराया गया।
कोर्ट ने थानाध्यक्ष मीरगंज को आदेश दिया कि सीसीटीवी फुटेज का परीक्षण विधि विज्ञान प्रयोगशाला से कराएं तथा अग्रिम विवेचना की परीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर अपना निष्कर्ष कोर्ट में प्रस्तुत करें।


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