अम्बेडकरनगर। उत्तर प्रदेश के जनपद अम्बेडकरनगर में मिलावट का खेल एक पुरानी परम्परा के रूप में चल रहा है। इसका कब समापन होगा इसे कोई नहीं बता सकता। इस गजब के अन्धेर को नियंत्रित करने के लिए सरकारी तौर पर कायम किए गए महकमे की क्या जिम्मेदारी है यह समझ से परे है। जिले के गाँव, कस्बा और शहरी इलाकों में परचून व मिठाई की दुकानों तथा जलपान गृहों पर जमकर मिलावट की जाती है। इस तरह मिलावट खोर कई गुना मुनाफा कमाने के चक्कर में जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मिलावट दूध से लेकर दलहन, तेलहन व फल सब्जियों तक है। इनके कारोबारियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं। ये चाहे खोया, पनीर, छेना, मिठाई बनायें और उसे महंगे दामों पर बेंचे इन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। यह निर्द्वन्द भाव से अपना कारोबार जमाए हुए हैं। यही नहीं मिलावटखोरी कर धन्ना सेठ बनने वाले ये असामाजिक तत्व अपना साम्राज्य विस्तृत करने में लगे हुए हैं।

जिले में अकबरपुर, टाण्डा, आलापुर, जलालपुर और भीटी तहसील के ग्रामीण व शहरी बाजारों में दूध से लेकर खाद्यान्न मिलावट का कारोबार अपने चरम पर है। ताज्जुब तो तब होता है जब व्यवसायियों से ग्राहक विरोध करता है, और उल्टे उसको दुकानदारों की लताड़ सुनने को मिलती है। ग्राहक मानो एक असहाय जरूरतमन्द प्राणी सा होकर रह जाता है। अपनी फरियाद कहाँ करे, किससे करे यह उसकी समझ में नहीं आता। हालांकि इसके विपरीत खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा मीडिया के जरिए यह ढिंढोरा पीटा जाता है कि नित्य नियमित अमुक-अमुक स्थान पर अभियान के तौर पर छापेमारी करके नमूने एकत्र कर उन्हें जाँच हेतु प्रयोगशालाओं में भेजा गया है।
अभिहीत अधिकारी, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी और खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की एक दर्जन के करीब टीम है। मीडिया प्रबन्धन में कुशल अधिकारियों द्वारा अपने मनमाफिक खबरों का प्रकाशन करवाकर उच्चाधिकारियों व शासन को प्रेषित कर अपनी पीठ थपथपवाने का कार्य जारी है। ये सरकारी अहलकार जब से इंस्पेक्टर से अधिकारी कहलाने लगे हैं तब से इनका रूतबा-रूआब इतना बढ़ गया है कि पूछा न जाए। महकमे के चतुर्थ से लेकर जिला स्तरीय अधिकारी सभी सुख-सुविधा भोगी हैं। ए.सी. कक्षों में रहना और चार पहिया लग्जरी वाहन से गमनागमन करना यह सब प्रदर्शित कर आम लोगों और व्यवसायियों में अपना रौला कायम करना इनका शगल है। नोट- यदि किसी तरह का संशय हो तो इसकी तटस्थ एजेन्सी से जाँच करवाई जा सकती है। यदि यह सही पाया गया तो मानना पड़ेगा कि सूत्रों से प्राप्त जानकारी सुपुष्ट है और फिर आगे यह भी मांग की जा सकती है कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन महकमे के सभी कर्मचारी व अधिकारी के चल-अचल सम्पत्ति की जाँच कराई जाये।
रीता विश्वकर्मा
सम्पादक-रेनबोन्यूज डॉट इन
मो. 8765552676, 8423242878




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