जौनपुर। शाहगंज नगर के ऐतिहासिक श्री रामलीला मंचन के अगली कड़ी में पक्का पोखरा स्थित रामलीला मैदान पर सुपनखा प्रवेश, नक्कटैया, सुपनखा-खरदूषण संवाद, खरदूषण वध, रावण-सुपनखा संवाद, रावण-मारीच संवाद, मारीच वध, सीता हरण, सीता विलाप, जटायु युद्ध और राम-जटायु संवाद की लीला खेली गयी।
वहीं गांधीनगर कलेक्टरगंज स्थित रामलीला मंच पर सबरी आश्रम, हनुमान मिलन, राम-सुग्रीव मिताई, सुग्रीव राजतिलक, लक्ष्मण कोप, वानर-राम मंत्रणा, समुद्र तट पर पहुंचना, समुद्र लंघन, हनुमान-सुरसा संवाद, सीता खोज, रावण-सीता संवाद और सीता-त्रिजटा संवाद की लीला का मंचन सम्पन्न हुआ। मिथिला से आये कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लीलांश के अनुसार वन में भ्रमण करते समय सुपनखा श्रीराम के सुन्दर मनमोहक रूप से आकर्षित हो उठी जो एक सुंदर युवती का रूप धर श्रीराम के सम्मुख विवाह का प्रस्ताव रखी।
प्रभू श्रीराम व लक्ष्मण के इनकार करने पर सूपनखा क्रोधित होकर सीता पर झपट पड़ी। तभी लक्षमण ने सूपनखा की नाक काट दिया जिस पर क्रोधित होकर सूपनखा के भाई खर व दूषण श्रीराम-लक्ष्मण से प्रतिशोध लेने आये लेकिन युद्ध के दौरान मारे गये। उधर रावण के कहने पर रावण के मामा मारीच आकर्षक स्वर्ण मृग का रूप धर सीता के सामने आया। सीता के कहने पर प्रभु श्रीराम उस मृग का शिकार करने दूर वन में निकल पड़े। राम ने मृग रूपी मारीच का वध किया तो राम की आवाज में मारीच ने प्राण रक्षा की गुहार लगायी जिस पर विचलित हो सीता ने लक्ष्मण को श्रीराम की रक्षा के लिये वन जाने को कहा। लक्ष्मण रेखा खींच लक्ष्मण भी वन चले गये कि इधर कुटिया में अकेली सीता का हरण कर लंकापति रावण वायु मार्ग से लंका की ओर जाने लगा। मार्ग में पक्षीराज जटायु ने रावण को रोकने का प्रयास किया लेकिन जटायु का वध कर रावण सीता को लंका के अशोक वाटिका ले जाकर बंदी बना दिया।
इसके बाद पात्रों द्वारा सबरी आश्रम, हनुमान मिलन, राम-सुग्रीव मिताई, सुग्रीव राजतिलक, लक्ष्मण कोप, वानर-राम मंत्रणा, समुद्र तट पर पहुंचना, समुद्र लंघन, हनुमान-सुरसा संवाद, सीता खोज, रावण-सीता संवाद और सीता-त्रिजटा संवाद की लीला का मंचन हुआ। दो चरणों में सम्पन्न रामलीला के इस अंश को देख श्रोतागण भाव-विभोर हो गये जो प्रभु की जय जयकार करने लगे।



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