जौनपुर: मछलीशहर का गोशाला बना वधशाला, जिम्मेदार ही बने बेपरवाह | #AAPKIUMMID
AAP KI UMMID | For Advertising Contact- 8081732332
विपिन मौर्य
मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के सराय यूसुफ गांव में बना महर्षि स्वामी बाबा अयोध्या दास गोशाला इस समय वधशाला बना हुआ जिसको लेकर जिम्मेदार लोग ही बेपरवाह बने हुये हैं। मालूम हो कि प्रशासन द्वारा अस्थायी गोशाला बनाकर उसमें गोवंशों को रखवाया गया है।
लोगों की मानें तो उक्त गोशाला में बेजुबानों को चारा के नाम पर केवल सूखा भूसा दिया जा रहा है। लगभग 80 की संख्या में रखे गये गोवंशों के लिये थोड़ा सा हरा चारा बोया गया है जो अपर्याप्त है। खाने की पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते गोवंशों के मरने का सिलसिला जारी है।
सूत्रों के अनुसार 25 दिन में लगभग 20 गोवंश मौत के मंुह में समां गये हैं। गुरूवार को देखा गया कि दो गाय व एक बछड़ा मौत के दरवाजे पर पहुंचकर गोशाला में अचेत पड़े हैं। वहीं मानें तो जब कभी अधिकारी जांच में आते हैं तो केवल मातहतों को निर्देश देकर खानापूर्ति करके चले जाते हैं।
गोवंशों के मरने की वजह जब गोशाला में रखे गये गोपालकों से जानी गयी तो उन्होंने बताया कि गोवंशों की संख्या अधिक है। इनको खाने के लिये पर्याप्त भूसा तो है लेकिन दाना की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जो ग्राम प्रधान व विकास खण्ड से उपलब्ध कराया जाता है, हम वही खिलाते हैं। साथ ही चरनी की व्यवस्था नहीं है तथा जो चरनी बनी है, उसमें मजबूत जानवर कमजोरों को खाने नहीं देते जिससे इनके मरने का सिलसिला नहीं रूक पा रहा है।
कुल मिलाकर इससे यह साफ जाहिर होता है कि गोशाला की व्यवस्था के जिम्मेदार लोग किसी प्रकार की काई रूचि नहीं ले रहे हैं जिससे गोवंशों के मरने का सिलसिला नहीं रूक रहा है। वहीं इसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। इस बाबत पूछे जाने पर उपजिलाधिकारी मंगलेश दुबे अपनी जिम्मेदारी से मुकर गये।
मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के सराय यूसुफ गांव में बना महर्षि स्वामी बाबा अयोध्या दास गोशाला इस समय वधशाला बना हुआ जिसको लेकर जिम्मेदार लोग ही बेपरवाह बने हुये हैं। मालूम हो कि प्रशासन द्वारा अस्थायी गोशाला बनाकर उसमें गोवंशों को रखवाया गया है।
लोगों की मानें तो उक्त गोशाला में बेजुबानों को चारा के नाम पर केवल सूखा भूसा दिया जा रहा है। लगभग 80 की संख्या में रखे गये गोवंशों के लिये थोड़ा सा हरा चारा बोया गया है जो अपर्याप्त है। खाने की पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते गोवंशों के मरने का सिलसिला जारी है।
सूत्रों के अनुसार 25 दिन में लगभग 20 गोवंश मौत के मंुह में समां गये हैं। गुरूवार को देखा गया कि दो गाय व एक बछड़ा मौत के दरवाजे पर पहुंचकर गोशाला में अचेत पड़े हैं। वहीं मानें तो जब कभी अधिकारी जांच में आते हैं तो केवल मातहतों को निर्देश देकर खानापूर्ति करके चले जाते हैं।
गोवंशों के मरने की वजह जब गोशाला में रखे गये गोपालकों से जानी गयी तो उन्होंने बताया कि गोवंशों की संख्या अधिक है। इनको खाने के लिये पर्याप्त भूसा तो है लेकिन दाना की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जो ग्राम प्रधान व विकास खण्ड से उपलब्ध कराया जाता है, हम वही खिलाते हैं। साथ ही चरनी की व्यवस्था नहीं है तथा जो चरनी बनी है, उसमें मजबूत जानवर कमजोरों को खाने नहीं देते जिससे इनके मरने का सिलसिला नहीं रूक पा रहा है।
कुल मिलाकर इससे यह साफ जाहिर होता है कि गोशाला की व्यवस्था के जिम्मेदार लोग किसी प्रकार की काई रूचि नहीं ले रहे हैं जिससे गोवंशों के मरने का सिलसिला नहीं रूक रहा है। वहीं इसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। इस बाबत पूछे जाने पर उपजिलाधिकारी मंगलेश दुबे अपनी जिम्मेदारी से मुकर गये।