अम्बेडकरनगर। अच्छे, साफ-सुथरे, खुशनुमा माहौल वाले नवाबों के शहर लखनऊ के चारबाग स्टेशन एवं अन्य प्रमुख प्रवेश मार्गों पर वर्षों पहले यह लिखा रहता था कि- ‘‘मुस्कराइए आप लखनऊ में हैं’’ यह स्लोगन तत्समय बड़ा सटीक हुआ करता था। बाहर से आने वाले लोग खास तौर पर पर्यटक लखनऊ शहर में पहुँचकर बगैर अतिरिक्त पैसा खर्च किए ही शुद्ध एवं स्वच्छ आत्मीय वातावरण का लाभ उठाया करते थे। समय बीतता गया, सरकारें बदलीं, व्यवस्था परिवर्तन हुए और सरकारी तन्त्र द्वारा भ्रष्टाचार को अंगीकार किया गया। फलतः आधी सदी पूर्व का लखनऊ अब वह लखनऊ नहीं रहा जहाँ लोग पहुँचकर अवश्य ही कभी मुस्कराते रहे हैं।
यह तो रही उत्तर प्रदेश सूबे की राजधानी लखनऊ की बात। बीच के वर्षों में कई अन्य शहरों जिनका संचालन नगर पालिका प्रशासन द्वारा किया जाता है के मुख्य प्रवेश द्वारों पर यह स्लोगन लखनऊ के अन्दाज में लिखा मिलता था। वह सब कुछ अब बेमानी सा होकर रह गया है। लूट-खसोट ने सभी को इतना स्वार्थी बना दिया है कि ये लोग अपने इस कार्य के अलावा किसी अन्य की परेशानी को महत्व ही नहीं देते। हम भी प्रदेश के जिले अम्बेडकरनगर के मुख्यालयी शहर अकबरपुर में रहते हैं.............कल्पना करते हैं कि क्या कभी यहाँ के मुख्य प्रवेश द्वारों पर मुस्कराइए कि आप अकबरपुर में हैं लिखा हुआ लटकता मिलेगा......? शायद नहीं......... क्योंकि........नगरजन नगरीय सुविधाओं से पूर्णतया वंचित हैं, साफ-सफाई व जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है। जगह-जगह जल-जमाव (जलभराव) से वातावरण में सड़ान्ध फैला हुआ है। बरसात के दिनों में लगभग सभी वार्डों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न होने से नगरजन अपने-अपने घरों में कैद होकर रह जाते हैं। यह स्थिति नगर पालिका परिषद अकबरपुर के सभी वार्डों की है। ऐसे में कैसे कहा जाए कि मुस्कराइए आप अकबरपुर में हैं।
25 वार्डों में विभक्त अकबरपुर-शहजादपुर दोनों उपनगरों की आबादी अपुष्ट सूत्रों के अनुसार डेढ़ लाख के आस-पास होगी। इस नगर पालिका परिषद का मुख्यालय अकबरपुर में है। चूंकि अकबरपुर एक नगर है............इसमें रहने वाला हर व्यक्ति नगरीय सुविधाओं का तलबगार है.........परन्तु यह क्या..........नागरिकों की सोच के विपरीत यहाँ नपा प्रशासन स्वच्छन्द एवं मनमाना होकर मात्र लूट-खसोट तक ही सीमित होकर रह गया है।
नपाप अकबरपुर के संचालन हेतु 25 सभासद व एक पालिका अध्यक्ष का चयन बजरिये चुनाव नगर क्षेत्र के नागरिकों द्वारा किया गया है। वर्तमान में नपाप अकबरपुर की चेयरमैन एक महिला है। वर्ष 2017 में हुए नगरीय चुनाव परिणाम के उपरान्त श्रीमती सरिता गुप्ता ने मीडिया से कहा था कि वह अब तक के सभी चेयरमैनों की सोच से इतर कुछ ऐसा कार्य करेंगी जो नागरिकों के हित में हो। परन्तु दो वर्ष बीत जाने के बाद भी उनका यह कथन मूर्त रूप नहीं ले सका है। जनचर्चा है कि चेयरमैन के प्रतिनिधि मनोज गुप्ता को नगर पालिका अकबरपुर में तैनात घाघ किस्म के मुलाजिमों द्वारा वास्तविकता से अनभिज्ञ रखते हुए उन्हें गुमराह किया जाता है। यही कारण है कि पालिका प्रशासनिक दक्षता का अनुभव कम होने के कारण मनोज गुप्ता को अकबरपुर पालिका क्षेत्र के लोगों द्वारा की जाने वाली अनेकानेक नकारात्मक टिप्पणियों से दो-चार होना पड़ता है। यही कारण है कि इस समय सरिता गुप्ता व उनके प्रतिनिधि के विरोधियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
यह तो रही जनता द्वारा चयनित माननीय व उनके प्रतिनिधि की बात। नगर पालिका के 25 वार्डों के सभासदों के बारे में अपवादों को छोड़कर यदि ऐसा ही कहा जाए तो सर्वथा गलत नहीं होगा। अब आते हैं नगर पालिका प्रशासन अकबरपुर के कुशल संचालन हेतु नियुक्त अधिशाषी अधिकारी, वरिष्ठ कर्मचारी, अवर अभियन्ता (निर्माण) और सुपरवाइजर की कार्यशैली पर।
नपाप अकबरपुर के अधिशाषी अधिकारी सुरेश कुमार मौर्य हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि बीते दो वर्षों से ये लगातार मनमाने ढंग से कार्य कर रहे हैं। इनका मुख्य उद्देश्य अर्थोपार्जन है। जानकारों के अनुसार इन्होंने अपने इस कार्यकाल में कई चुनिन्दा अन्य पूर्ववर्ती अधिशाषी अधिकारियों के धनकमाऊ कीर्तिमान को तोड़ते हुए नया रिकार्ड बनाया है। जो कब टूटेगा..........टूटेगा भी या नहीं.......यह तो आने वाला समय ही बताएगा। इनकी कारस्तानी की चर्चा नगर के प्रबुद्धजनों में प्रायः होती रहती है। एक तरह से 24 महीने में ही ये नगरजनों के लिए उबाऊ हो गए हैं।
अवर अभियन्ता (निर्माण) घनश्याम मौर्या हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि ये ई.ओ. के स्वजातीय हैं। इन पर चेयरमैन/प्रतिनिधि, ई.ओ. का पूरा वरदहस्त है। घनश्याम मौर्य एक असहाय मुलाजिम हैं, जिनका संचालन चेयरमैन, ई.ओ. और अन्य धाकड़ ओहदेदारों द्वारा किया जा रहा है। नगर के स्वच्छता प्रभारी, सफाई नायक व सफाई कर्मियों की तो बात ही दीगर है। इनके बारे में कुछ भी लिखना शायद व्यर्थ ही होगा........। लब्बो-लुआब यह कि चेयरमैन, सभासद जनप्रतिनिधि हैं और वर्तमान नियमानुसार इन्हें अगले चुनाव तक हटाया भी नहीं जा सकता। अकबरपुर की जनता जो दर्दुशा झेल रही है, उसका परिणाम इन्हें आगामी चुनाव में अवश्य ही मिलेगा, ऐसा लोगों का कहना है।
ई.ओ. जिन्होंने अपने दो वर्षीय कार्यकाल में एक अनूठा कीर्तिमान स्थापित किया है। भ्रष्टाचार (मनमाना व लूट-खसोट) इनसे बेहतर और कोई कर पाएगा.....यह तो समय ही बताएगा। और वह समय तब आएगा जब इनके यहाँ से हटने के उपरान्त आने वाला इनका उत्तराधिकारी इनसे भी दो-चार कदम आगे होगा।
इन लोगों की कारस्तानी से दुःखी होकर अकबरपुर की आत्मा से अब कुछ इस तरह की आवाजें निकलने लगी हैं- इन्हीं लोगों ने, इन्हीं लोगों ने.........इन्हीं लोगों ने ले लिया दुपट्टा मेरा...........।
लेखक: रीता विश्वकर्मा 
मो. 8765552676



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