जौनपुर। जनपद में पिछले 11 वर्षों से विद्या डेण्टल हास्पिटल रिसर्च एण्ड ट्रामा सेंटर दंत चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है। दंत चिकित्सा के क्षेत्र में जनपद को एक नया आयाम और मुकाम दिलाने का श्रेय हमेशा इस दंत चिकित्सा संस्थान को दिया जाता रहा है।
दंत चिकित्सा से संबंधित समस्त इलाज, फेशियल व ट्रामा जैसे मुंह व चेहरे की टूटी हड्डी का इलाज, मुंह में सूजन व चेहरे की सूजन सभी प्रकार के इलाज की सुविधा इस अत्याधुनिक दंत चिकित्सा केंद्र में उपलब्ध है। अपने स्थापना से आज तक के सफल वर्षों में इस दंत चिकित्सा केंद्र में मरीजों के हितों को सर्वोपरि रखा व इस बात के लिए हमेशा प्रतिबद्धता दिखायी कि जनपदवासियों को सस्ते दर पर अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध हो सके। सभी अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित विद्या डेण्टल हास्पिटल रिसर्च एण्ड ट्रामा सेंटर जनपदवासियों को दंत चिकित्सा की जांच से संबंधित सभी उपकरण एक ही छत के नीचे उपलब्ध करता है। जैसे ओ.पी.जी., आर.बी.जी., डेण्टल एक्स रे विशेषज्ञ दंत चिकित्सकों की टीम द्वारा दांतों व मुंह का इलाज होने से इलाज की गुणवत्ता व विश्वसनीयता बनी रहती है।
डा. सौरभ उपाध्याय
अस्पताल के संस्थापक व वरिष्ठ दंत चिकित्सक डा. सौरभ उपाध्याय ने हमेशा अपने मृदुल स्वभाव कार्यकुशलता से मरीजों के लिए चाहे दिन हो या रात अपने चिकित्सक होने का फर्ज निभाया है व निभाते आ रहे हैं। गरीबों की सेवा, गुणवत्ता पूर्ण इलाज व अन्य बड़े शहरों की तुलना में जनपद जौनपुर की दंत चिकित्सा को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा कार्य करते चले आ रहे हैं।
उनका मानना है कि चिकित्सक को समाज में भगवान के समान दर्जा दिया जाता है कि परन्तु बदकिस्मती से आज समाज में कुछ तत्व उसे शैतान की तरह दुष्प्रचारित कर रहे हैं और उसके साथ अपराधी जैसा व्यवहार हो रहा है। परन्तु समाज को यह समझना होगा कि डाक्टर भी एक इंसान है व सदा अपने मरीज का भला ही चाहता है। डाक्टर वह इलाज है जो एक मरीज व उसकी मौत के बीच खड़ा होता है व उसे मौत के मुंह से बाहर खींच लाता है। परन्तु वह हर बार सफल हो पाए, ऐसा हमेशा संभव नहीं है। क्योंकि मौत एक शाश्वत सत्य है जो अकस्मात आती है। कई बार घटनाएं इतनी जल्दी व प्रत्याशित होती है कि डाक्टर के बस से बाहर होती है, वह अकस्मात् मृत्यु से कई बार रोक नहीं पाता।
यदि कोई कोस्टगार्ड डूबते इंसान को नहीं बचा पाता या कोई फायर ब्रिगेड किसी जलते इंसान को न बचा पाए तो क्या उसे मारा पीटा या प्रताड़ित किया जाता है,  तो फिर डाक्टर क्यों? समाज को यह गंभीरता से सोचना होगा कि डाक्टर्स के प्रति हिंसा बन्द न की गई तो वह किस प्रकार जोखिम लेकर गंभीर मरीज का इलाज कर पाएगा। यदि खुद उसे अपनी जान का जाखिम हो। डाक्टर्स आपके मरीज की ओर से मौत या बीमारी से लड़ता है। कृपया उसका सहयोग करें तभी वह बेहतर इलाज दे पाएगा। कृपया डाक्टर के प्रति हिंसा रोकिए। आपकी तरह ही घर पर उसका परिवार भी उसका इंतजार कर रहा है।




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