जौनपुर: एक बार फिर गरमाया जफराबाद बाजार चौड़ीकरण का मामला | AAP KI UMMID
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- न्यायालय ने जिलाधिकारी को पुनः दिया चार सप्ताह का समय
जौनपुर। तीन माह बाद अचानक एक बार फिर जफराबाद बाजार चौड़ीकरण कार्य का मामला गरमा गया है। उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने सपा नेता राम बसावन अग्रहरि द्वारा दायर की गयी अवमानना याचिका को संज्ञान में लेते हुये जिलाधिकारी को 4 सप्ताह का समय दिया। साथ ही बीते 7 दिसम्बर 2018 को पारित आदेश का कड़ाई से अनुपालन कराने का निर्देश भी दिया। ऐसा न करने पर अवमानना याचिका पर पुनः सुनवाई प्रारम्भ कर दी जायेगी।
मालूम हो कि जफराबाद बाजार निवासी संजय सेठ द्वारा दायर याचिका को संज्ञान में लेते हुये उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अपने आदेश द्वारा जिलाधिकारी को जफराबाद बाजार को अतिक्रमण मुक्त कराते हुये बाजार का चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य पूर्ण कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया था। जिलाधिकारी के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग प्रान्तीय खण्ड के अधिशासी अभियान्ता एवं राजस्व विभाग की टीम ने अतिक्रमणकारियों को चिन्हित करते हुये बुल्डोजर चलवाकर कुछ लोगों का अतिक्रमण ढहवा दिया था जबकि अवशेष को यह चेतावनी देते हुये तोड़-फोड़ का कार्य बन्द कर दिया गया कि वे अपना अतिक्रमण स्वयं हटा लें, अन्यथा जिला प्रशासन उनका अतिक्रमण हटवाने के साथ शुल्क भी लेगा।
लोकसभा निर्वाचन 2019 की आचार संहिता लागू होने के 3 दिन पहले जफराबाद बाईपास मार्ग के लोकार्पण पर उपस्थित जफराबाद के भाजपाइयों की मांग पर विधायक डा. हरेन्द्र सिंह ने लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियन्ता राधाकृष्णन से वर्तमान चौड़ाई में जफराबाद बाजार की सड़क दुरूस्त करा दी गयी थी। इसके बाद से जफराबाद बाजार चौड़ीकरण को लेकर जितनी मुंह-उतनी बातें होते यह प्रकरण ठण्डे बस्ते में चला गया। सपा नेता व जफराबाद बाजार निवासी राम बसावन अग्रहरि ने कार्यवाही शून्य होने पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का अनुपालन न कराये जाने का आरोप जिलाधिकारी पर लगाया। साथ ही उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर कर दिया। अनूप बरनवाल एडवोकेट के माध्यम से दाखिल उक्त अवमानना याचिका में आरोप लगाते हुये कहा कि अधिशासी अभियन्ता के पत्र एवं उपजिलाधिकारी सदर के आदेश पर हल्का लेखपाल द्वारा बनाये गये सीमांकन रिपोर्ट से साबित है कि सड़क की कुल चौड़ाई 7 मीटर है। न्यायालय ने अपने आदेश के माध्यम से अवैध निर्माण को ध्वस्त कर 7 मीटर चौड़ाई में सड़क बनाने का आदेश दिया था किन्तुु कुछ ही अवैध निर्माण गिराये गये और बाकी 45 लोगों द्वारा सड़क पर अतिक्रमण कर बनाये गये अवैध निर्माण नहीं गिराये गये हैं।
अवमानना याचिका में यह भी आरोप है कि मात्र 3 मीटर चौड़ाई पर डामर लगा दिया गया, ताकि उपरोक्त 45 लोगों के अवैध निर्माण को सुरक्षित किया जा सके। यह कार्यवाही उच्च न्यायालय की घोर अवमानना है। याचिका में यह भी कहा गया कि जफराबाद में प्रवेश कर रहा सड़क मोहम्मद सईद तक 7 मीटर चौड़ा है किन्तु उसके बाद नासही से लाडनपुर चौराहे तक यह सड़क सकरा होकर 3 मीटर हो जाता है। इसके चलते ट्रैफिक जाम, जलजमाव, गन्दगी, बीमारी, प्रकोप जैसी गम्भीर समस्याओं से बाजारवासियों सहित राहगीरों को जूझना पड़ता है।
उक्त अवमानना याचिका में जिलाधिकारी अरविन्द मलप्पा बंगारी को पक्षकार बनाते हुये उनके खिलाफ उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का अवमानना प्रक्रिया शुरू करने की प्रार्थना की गयी जिस पर सुनवाई करते हुये उच्च न्यायालय ने यह पाया कि प्रथम दृष्टया अवमानना का मामला बनता है, इसलिये एक बार फिर 4 सप्ताह का समय जिलाधिकारी को दिया जाता है कि वे न्यायालय के आदेश का अनुपालन पूर्ण रूप से सुनिश्चित करायें, अन्यथा इसके बाद अवमानना की कार्यवाही पुनः शुरू कर दी जायेगी। फिलहाल उच्च न्यायालय इलाहाबाद के उक्त आदेश के बाद से एक बार फिर कस्बे में जफराबाद बाजार के चौड़ीकरण-सुदृढ़ीकरण का मामला गरमा गया है।