नेवढ़िया, जौनपुर। अयोध्या के कथा वाचक पंडित बालकृष्ण दास महाराज ने श्रीराम और माता सीता के विवाह की ऐसी कथा सुनाई की पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया। श्रीराम विवाह प्रसंग की कथा का प्रारंभ धनुष यज्ञ के प्रसंग से किया। भगवान श्रीराम द्वारा शिवजी का धनुष तोड़ने और धनुष टूटने पर भगवान परशुराम के स्वयंवर में पहुंचकर क्रोधित होने के प्रसंग का बड़े ही मनोरम तरीके से वर्णन किया।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम चेतना के प्रतीक हैं और मां सीता शक्ति का स्वरूप हैं। कथा व्यास ने सीता पंचमी के महत्व को भी विस्तार से समझाया। कहा कि यदि राम चरित मानस की एक चौपाई जीवन में उतार लें तो जीवन सार्थक हो जायेगा। भगवान राम के आदर्शमय जीवन की चर्चा करते हुये कहा कि कोई सम्पत्ति अपने बेटों को देता है तो कोई बेटी-बहू को देता है। सम्पत्ति देना और लेना तो ठीक परन्तु उस संपत्ति का सही उपयोग हो तो, देना और लेना उचित है।
उन्होंने कहा कि सम्पत्ति पाकर उसका सही इस्तेमाल करें। इस कलियुग में पूरे देश में एक साथ रामराज्य का वातावरण नहीं हो सकता। पहले अपने परिवार में ही स्वयं को राम राज्य जैसा वातावरण उत्पन्न करना होगा। इस अवसर पर पंडित राजेश मिश्रा, राजेश तिवारी, सुब्बुल चौबे, पवन पांडेय, मोनू दूबे, रिंकी दूबे आदि उपस्थित रहे।




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