जौनपुर। माह-ए-रमजान का पवित्र महीना चल रहा है। एक तरफ जहां रोजेदार सुबह सहरी करने के बाद दिन भर खुदा की इबादत करते हैं और सूर्यास्त के समय मगरीब की नमाज के बाद रोजा इफ्तार कर तरावीह पढ़कर खुदा की बारगाह में दुआएं मांगते हैं।

वहीं बदलापुर तहसील क्षेत्र के मेढ़ा गांव निवासी मो. अख्तर सिद्दीकी का पुत्र मो. जाहिद अपने जज्बात पर काबू नहीं रख सका। सात वर्ष की उम्र में उसने पहला रोजा रखकर एक नई मिसाल पेश की। जहां तापमान 42 डिग्री से अधिक चल रहा हो उस समय मो. जाहिद ने शुक्रवार को अपने जीवन का पहला रोजा रखकर यह पैगाम देने की कोशिश किया कि अल्लाह की बारगाह में मैं अपना सबकुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार हूं। हालांकि इस्लाम में 14 वर्ष होने पर ही रोजा रखना वाजिब है। पर इस बालक ने अपने जज्बात को दुनिया के सामने जगजाहिर करते हुए पूरी सिद्दत व इबादत के साथ भोर में साढ़े तीन बजे उठकर सहरी की।
दिन भर बिना खाये पीये नमाज पढ़ने के साथ—साथ पहला रोजा रखकर यह पैगाम दिया कि अगर आप में हिम्मत व खुदा से मोहब्बत है तो आप हर चीज को पा सकते हैं। मो. जाहिद ने कहा कि मुझे आज खुशी है कि मैंने अल्लाह को याद करते हुए अपना पहला रोजा रखा है और आगे भी रोजा रखता रहूंगा।




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