जौनपुर। पैगम्बरे इस्लाम के दामाद व मुसलमानों के इमाम व खलीफा हजरत अली अलै. की शहादत के 14 सौ साल पूरे होने पर नगर के जामिया इमाम जाफर सादिक अलै. में 3 दिवसीय कांफ्रेंस एवं मजलिस का आयोजन हुआ।
इस मौके पर जामिया इमाम जाफर सादिक के प्रमुख शिया धर्मगुरू मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने कहा कि मौला अली एक ऐसी आदर्श शख्सियत थे जिन्होंने अपना जीवन अल्लाह के हुक्म के मुताबिक बिताया। इमाम व खलीफा होने के बाद भी उनके जीवन का बड़ा हिस्सा इबादत में बीता। कहा जाता है कि इंसानी कलम में इतनी ताकत नहीं कि इमाम अली की तारीफ कर सके। इसी क्रम में हैदराबाद से आये धर्मगुरू मौलाना तकी आगा ने कहा कि हजरत अली की पैदाइश अल्लाह के घर पवित्र काबे शरीफ में हुई थी।
जौनपुर नगर में मौला अली की शहादत पर आयोजित
मजलिस में उपस्थित मौलाना सहित अन्य लोग।
कहा जाता है कि आपकी वालदा आपकी पैदाइश के पहले जब काबे शरीफ के पास गयी तो अल्लाह के हुक्म से काबे की दीवार ने आपकी मां को रास्ता दे दिया था। मौलाना नाजिम अली खैराबादी ने कहा कि हजरत अली इस्लाम धर्म के इमाम व खलीफा बने। वह अपनी जिंदगी यहूदी के बाग में नौकरी करके बसर करते थे। खलीफा बनने के बाद भी सरकारी खजाने से न अपने लिये और न ही रिश्तेदारों के लिये कुछ लेते थे।
मौलाना काजिम मेंहदी उरूज ने कहा कि मौला अली खुदा कि सिफात के आईनेदार, तमाम सिफात के मरकज अली 661 ई. में माहे रमजान मुबारक की 21वीं तारिख को कूफे की मस्जिद में सुबह की नमाज के वक्त शहीद कर दिये गये। इस अवसर पर मौलाना सुल्तान हुसैन रिजवी, रजा अब्बास, मीसम रजा इब्ने, करार हुसैन मरहूम, शौकत हुसैन, हसन अकबर, शाने आलम, दिलशाद खान, हैदर मेंहदी, मेराज हैदर खान, जफर खान, वसी मोहम्मद, शोला जौनपुरी, दिलकश गाजीपुरी, नजमुल हसन नजमी, मिर्जा जावेद सुल्तान, आरिफ हुसैनी, सैफ आब्दी, मौलाना गालिब, अब्बास रजा आदि उपस्थित रहें कार्यक्रम का संचालन सहर अरशी ने किया।





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