जौनपुर। शाहगंज नगर के पुराना काली चौरा मंदिर पर आजमगढ़ के कोल्हूखोर से पधारे सुधाकर दास फौजी बाबा ने कहा कि त्रेता युग माही, शम्भू गये कुम्भज ऋषि पाही, एक बार त्रेता युग में भगवान भोलेनाथ सती के साथ रामकथा सुनने के लिये प्रयाग में आये 27000 वर्ष बैठकर कथा सुने। कथा या राम के चरित्र में कभी शक नहीं करना चाहिये। भगवान को देखकर भोलेनाथ ने सच्चिदानन्द कहकर प्रणाम किया। सती को संदेह हुआ। स्त्री के बिरह में पशु-पक्षी से पूछ रहे हैं- हे खग मृग हे मधुकर श्रेणी, तुम देखी सीता मृगनैनी, सती को संदेह हुआ।
उन्होंने कहा कि यह राम नहीं हो सकते तब भोले बाबा ने कहा कि तुम जाकर परीक्षा ले लो। चली सती शिव आशीष पाई, श्रीराम की परीक्षा लेने के लिये सती सीता बनी। उनके इस अपराध को भोलेनाथ बर्दाश्त नहीं कर पाये। सती ने दोबारा झूठ बोला। मैंने भी आपकी तरह ही प्रणाम किया था। पत्नी को पति से झूठ नहीं बोलना चाहिये। यह संवाद भोले बाबा ने संसार को बताया कि पति की आज्ञा से कार्य करना चाहिये। समाज के उत्थान के लिये उक्त कथा को भगवान भोलेनाथ ने सुनाया।
परिणाम यह हुआ कि सती को अपना शरीर त्यागना पड़ा। दूसरा जन्म लेना पड़ा। पति परमेश्वर होता है, इसी वजह से शिव जी को विश्वनाथ, संसार का राष्ट्रपति कहा गया है। यदि भगवान को जानोगे-मानोगे, विश्वास करोगे तो सबका हित होगा। यह उत्तम उपाय है। यही कहकर कथा का विराम श्री सुधाकर दास फौजी बाबा ने किया। अन्त में जयराम माली पुजारी द्वारा आरती एवं पुजारिन सुशीला मालिनी द्वारा प्रसाद वितरण किया गया।



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