जौनपुर: आसमां समझोगे खुद को तो धुआं हो जाओगे | #AAPKIUMMID
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जौनपुर। शाहगंज के इमरानगंज बाजार स्थित मून स्कूल में बुधवार की रात आयोजित मुशायरे में शायरों ने अपने कलाम सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अप्रवासी भारती डा. अब्दुलाह रहे।
मुशायरे की शुरुआत अतिथियों ने दीप प्रज्वलित करके किया। इरफाना लखनवी ने नात-ए-पाक से मुशायरे की महफिल शुरु की। जिसमें मैकश अंजुम ने अपना शेर सुनाया ऊंची ऊंची कोठियों को देखकर, हमने मांगा ही नही साया किसी दीवार से। डा. आरिफ रईस ने देकर लहू जो कर दिया रौशन तो कर दिया, कुछ भी हो अब चिराग बुझाना तो है नही पढ़कर देशभक्ति का सबूत पेश किया तो लोगों की खूब वाहवाही बटोरी।
इरफाना लखनवी ने अपने कलाम कलियां महक रही हैं दरुदो सलाम की पेश किया। मैकश आजमी ने गम तुम्हारा अगर न होता तो, टूटकर हम बिखर गये होते पढ़कर तालियां बटोरी। मुशायरे में मिशदाक आजमी, दिमाग जौनपुरी, डा. रिजवानुर्रजा, डा. सरफराज नवाज ने अपने शेर पढ़े।
मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि मुशायरे उर्दू की तरक्की में अपना अहम रोल निभाते हैं। भाषा को सीमाओं के बंधन में नही बांधा जा सकता। कहां अलग अलग भाषाओं के देश में उर्दू की महफिल में हजारों हजार की संख्या में लोग इकट्ठा होकर उर्दू जबान को दुनिया की जबान साबित करते हैं। संचालन डा. हारुन रशीद लखनवी ने किया। विद्यालय प्रबंधक व मुशायरा कंवीनर जुबेर आलम ने आगंतुकों का आभार प्रकट किया। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जेडके फैजान, डा. नैयर आजम, परवेज आलम भुट्टो, मो. राशिद, हाजी जियाउद्दीन आदि मौजूद रहे।
मुशायरे की शुरुआत अतिथियों ने दीप प्रज्वलित करके किया। इरफाना लखनवी ने नात-ए-पाक से मुशायरे की महफिल शुरु की। जिसमें मैकश अंजुम ने अपना शेर सुनाया ऊंची ऊंची कोठियों को देखकर, हमने मांगा ही नही साया किसी दीवार से। डा. आरिफ रईस ने देकर लहू जो कर दिया रौशन तो कर दिया, कुछ भी हो अब चिराग बुझाना तो है नही पढ़कर देशभक्ति का सबूत पेश किया तो लोगों की खूब वाहवाही बटोरी।
इरफाना लखनवी ने अपने कलाम कलियां महक रही हैं दरुदो सलाम की पेश किया। मैकश आजमी ने गम तुम्हारा अगर न होता तो, टूटकर हम बिखर गये होते पढ़कर तालियां बटोरी। मुशायरे में मिशदाक आजमी, दिमाग जौनपुरी, डा. रिजवानुर्रजा, डा. सरफराज नवाज ने अपने शेर पढ़े।
मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि मुशायरे उर्दू की तरक्की में अपना अहम रोल निभाते हैं। भाषा को सीमाओं के बंधन में नही बांधा जा सकता। कहां अलग अलग भाषाओं के देश में उर्दू की महफिल में हजारों हजार की संख्या में लोग इकट्ठा होकर उर्दू जबान को दुनिया की जबान साबित करते हैं। संचालन डा. हारुन रशीद लखनवी ने किया। विद्यालय प्रबंधक व मुशायरा कंवीनर जुबेर आलम ने आगंतुकों का आभार प्रकट किया। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जेडके फैजान, डा. नैयर आजम, परवेज आलम भुट्टो, मो. राशिद, हाजी जियाउद्दीन आदि मौजूद रहे।