• हास्य कवि अखिलेश ने कहा- मैं सपरेटा दूध जैसा हो गया हूं, इसमें मुर्रा भैंस की मलाई कैसे आयेगी
  • अपूर्वा भारती के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन/मुशायरा सम्पन्न

  जौनपुर। साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था अपूर्वा भारती के तत्वावधान में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। इंग्लिश क्लब के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता विधिवेत्ता डा. पीसी विश्वकर्मा एवं संचालन नीरज पाण्डेय रायबरेली ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. आशुतोष उपाध्याय व विशिष्ट अतिथि चेयरमैन माया दिनेश टण्डन, प्राचार्य डा. विनोद सिंह, डा. स्पृहा सिंह, डा. आरए मौर्य एवं पूर्व पुलिस उपाधीक्षक अशोक सिंह रहे।
  मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से शुरू हुये कार्यक्रम के अतिथियों सहित सभी आगंतुकों का स्वागत संस्थाध्यक्ष डा. अशोक सिंह ने किया। इसके बाद पूर्व अध्यक्ष त्रिभुवन नाथ सिंह की स्मृति में प्रकाशित पत्रिका ‘संकल्प’ एवं डा. आशुतोष उपाध्याय की लिखित पत्रिका का मंचासीन अतिथियों ने विमोचन किया।
  मीरा तिवारी प्रतापगढ़ के मां सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के बाद मध्य प्रदेश के छतरपुर से आये प्रकाश पटेरिया ने ‘पराया स्वर पराई लय पराये छन्द कितने हैं, पराई ज्योति से ज्योतित यहां मतिमन्द कितने हैं, बचाना देश है तो फिर हमें यह जानना होगा, यहां कितने विभीषण हैं, यहां जयचन्द कितने हैं’ प्रस्तुत करके सशस्त हस्ताक्षर किया। साथ ही श्री पटेरिया ने वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी से पूछे गये प्रश्न का उत्तर इस तरह दिया- जब सोमनाथ से चला रथ तो आपने कहा चलाया श्रीराम ने, इस देश के जब बन गये प्रधान तो कहा जिताया श्रीराम ने। यदि राम मंदिर न बना तो कहा रूलाया श्रीराम ने। फिर सत्ता से बाहर आये तो कहा हराया श्रीराम ने।
  बाराबंकी से आये प्रमोद पंकज ने ‘हम जवाब पत्थर से देंगे कर देंगे बर्बाद, ईंट से ईंट बजा देंगे, फिर ना होंगे आबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद-हिन्दुस्तान जिन्दाबाद के अलावा अन्य रचनाओं से लोगों को खूब हंसाया। मध्य प्रदेश के छतरपुर से आये सुश्रुत मयंक ने ‘हमारे प्यारे भारत का अभी भी प्यार जिन्दा है, जहां इंसानियत बसती है वो घर द्वार जिन्दा है, एयर स्ट्राइक कर जिसने रखा सम्मान भारत की, हमारे देश का अब भी वो चौकीदार जिन्दा है’ प्रस्तुत किया। साथ ही कहा- जमाने को जो तुमने दी वो सौगात देखेगे, सभी से क्या मतलब हम तुम्हारी बात देखेगे, जो अपने को समंदर मान बैठो हो, हमारे सामने वो क्या है उनकी औकात देखेगे।
लखनऊ से विख्यात मिश्र ने पाकिस्तान को ललकारते हुये कहा- समझौते वाली मेज रक्त से लाल हुई जाती है, सदियों से शूर शहीदों का यह काल हुई जाी है, यह मेज तोड़कर इसके पैरों की लाठी बनवा दो, पाक पड़ोसी के ऊपर अबकी तोपें तनवा दो।’ मीरा तिवारी प्रतापगढ़ ने ‘गरल पीकर रहे जिन्दा ए अपनी जिन्दगानी है, हमारा दर्द से रिश्ता ये खानदानी है, दर्द पे दर्द ही देती रही बेदर्द ये दुनिया, दर्द से गीत बन जाते ए रब की मेहरबानी है’ पढ़ी तो डा. ममता वार्ष्णेय आगरा ने ‘वतन ये मेरा है जान मेरी है दिल केसरिया, हरी है रंगत सफेद पन्नों से लिखता, समय इबारत नई-नई है’ पढ़कर देशभक्ति का माहौल बनाया।
  साक्षी तिवारी प्रतापगढ़ ने ‘मैं लेके तिरंगा सरहद तक जाऊंगी, सीमा पर खड़ी होके इसको फहरारूंगी, झुकने न कभी दूंगी ये शान है हम सबका, ये स्वाभिमान अपना दुनिया को दिखाऊंगी’ पढ़कर देश के स्वाभिमान को जागृत किया। साथ ही कहा- एक स्वर साधिका हू, मां तेरी आराधिका हूं, तोतली जुबान है किन्तु आस्था महान है, अश्रुपूर्ण है नयन भावपूर्ण, कल्पना को शक्ति दे दो व्योम में उड़ान है।
  कवि सम्मेलन/मुशायरे का बड़े अंदाज से संचालन करते हुये नीरज पाण्डेय रायबरेली ने वीर शहीदों को शहादत देते हुये ‘बूंद-बूंद जो मातृभूमि की खातिर लहू निचोड़ गये, जो बहादुरी के पन्नों पर नाम सुनहरा जोड़ गये, अपने जीवन का रथ जो बलिदानी पथ पर मोड़ गये, ओढ़ तिरंगा कफन समूचा देश बिलखता छोड़ गये’ पढ़ा तो पूरा माहौल गमगीन हो गया। साथ ही ‘उनके हत्यारों का हर हालत में खत्म वजूद करो, मानवता के दुश्मन का अब नाम नेस्तनाबूद करो’ पढ़ा तो उपस्थित लोगों में जोश भर गया।
  संगम की धरती से पधारे हास्य कवि अखिलेश द्विवेदी ने ‘गीत लिखकर प्यार का अमन का पैगाम देकर हमदम बनाना सीख लो, नफरतों के दौर में हर शख्स जल रहा है तो घाव पर उसके मरहम लगाना सीख लो।’ साथ ही ‘मेरी जिंदगी भी हो गयी है गंगा के किसी कछार जैसी, इसमें जमी हुई काई कैसे जायेगी, मैं सपरेटा दूध जैसा हो गया हूं, इसमें मुर्रा भैस की मलाई कैसे आयेगी’ पढ़कर लोगों को खूब हंसाया।
  इसके अलावा अन्य हास्य-व्यंग्य रचनाओं से श्री द्विवेदी ने लोगों को खूब गुदगुदाया। इसके अलावा जौनपुर के सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी, वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये विधिवेत्ता डा. पीसी विश्वकर्मा ने ‘इस कदर दुनिया में महिलाओं का रूतबा बढ़ गया, औरतों के सामने मर्दानगी खामोश है’ के अलावा अपनी अन्य रचनाओं को पढ़ा।
  इस अवसर पर वीरसेन सिंह, दिनेश शर्मा, दल सिंगार मिश्र, डा. सरोज उपाध्याय, नन्द लाल मौर्य एडवोकेट, डा. एचएन पाण्डेय, प्रेम प्रकाश मिश्र, डा. उमाकांत गिरि सहित तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहे। अन्त में कार्यक्रम संयोजक राधेश्याम पाण्डेय ने समस्त आगंतुकों का स्वागत करते हुये सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।




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