जौनपुर। कलयुग में नाम संकीर्तन से ही जीव का उद्धार संभव है। यह बातें मुंगराबादशाहपुर स्थित सिद्धपीठ श्री महाकाली जी के मंदिर प्रांगण में स्वर्गीय शंकरलाल जयसवाल की पुण्य स्मृति में आयोजित भागवत कथा के अंतिम दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए वृंदावन से पधारे स्वामी अंकित आनंद जी महाराज ने व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि रुक्मणी के साथ जामवंती, सत्यभामा, कालिंदी, समेत आठ पटरानियों के साथ भगवान का विवाह हुआ था। सभी के विवाह की चर्चा उन्होंने विस्तार से व्यक्त किया। तत्पश्चात उन्होंने 16100 राज कन्याओं के साथ भगवान के विवाह का वर्णन विस्तार किया। महाराज जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण देवकी के छह पुत्रों को वापस लौटा लाए। इसके बाद उन्होंने 9 योग्यस्वरों का संवाद, दत्तात्रेय द्वारा बनाए गए 24 गुण का वर्णन भी किया गया।
इसके बाद महाराज जी ने यदुवंशियों को ऋषियों का शाप, यदुकुल का संघार, उद्धव जी का आश्रम गमन पर भी प्रकाश डाला। कथा के अंत में महाराज जी का सम्मान अंगवस्त्रम व माल्यार्पण कर मुख्य यजमान श्रीमती विमला जायसवाल द्वारा किया गया। कथा समापन पर शोभायात्रा भी निकली गई।
इस अवसर पर अनिल कुमार जायसवाल, कृष्णा जायसवाल, कृष्ण गोपाल जायसवाल, मनोज कुमार, सुनील कुमार, कमलेश जायसवाल, प्रदीप जायसवाल, संदीप जायसवाल आदि उपस्थित रहे।





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