जौनपुर। विज्ञान कृति का विश्लेषण करता है, जबकि अध्यात्मकर्ता का अंवेषण करता है।विज्ञान गतिशील बनाता है और अध्यात्म संवेदनशील बनाता है। उक्त बातें वाराणसी से आए कथावाचक डॉ. मदन मोहन मिश्र ने बुधवार को जिले के डोभी स्थित श्री चंद्रकेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में परमसंत ब्रम्हलीन श्री श्री उड़िया बाबा के कृपा प्राप्त बाबा त्रिभुवन दास जी महाराज के सानिध्य में चल रहे पांच दिवसीय श्री रामचरित मानस कथा में कही।

उन्होंने कहा कि विज्ञान के बल पर आदमी मछली की तरह जल में तैर सकता है। पक्षी की तरह आकाश में उड़ सकता है। लेकिन मछली व पक्षी आदमी की तरह जमीन पर चल नहीं सकता। इसलिए अध्यात्म विज्ञान के समंवय से ही राष्ट्र का कल्याण होगा। हनुमान जी के चरित्र की चर्चा करते हुए कहा कि जो सारे अनुमान को मंगलमय बना दें, वही हनुमान हैं।
काशी से पधारी मानस कोकिला डा. सुधा पांडेय ने भरत चरित्र का मार्मिक व हृदयस्पर्शी वर्णन करते हुए कहा कि संपत्ति का बटवारा करने वाला नहीं, विपत्ति का बटवारा करने वाला ही भाई होता हैं। भरत के त्याग का आदर्श अपनाने से ही कल्याण होगा। विंध्यधाम से पधारे पंडित अमरनाथ त्रिपाठी ने कहा कि मनुष्य को विकारों से दूर रहकर भजन करना चाहिए।
इस अवसर पर कपिल सिंह, त्रिभुवन सिंह, कंहैया यादव, डॉ. महातिम निषाद, अनिल सिंह, दिवाकर सिंह, अवधराज यादव, चंद्रिका यादव, विनोद कुमार सिंह, महेंद्र प्रजापति, शिवधनी गुप्ता आदि उपस्थित रहे।




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