• आयोजन के लिये स्वीकृति पर गम्भीर रहता है शासन व प्रशासन
  • प्रशासनिक व पुलिस विभाग के मातहत करते हैं लापरवाही

जौनपुर। घर के मुखिया के ठीक होने से तब तक कुछ नहीं होता जब तक घर के सभी सदस्य ठीक न हो। यहां इस बात को कहने का तात्पर्य यह है कि जहां शासन व प्रशासन द्वारा सख्त हिदायत दिया जाता है कि किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम के लिये प्रशासन व पुलिस विभाग की अनुमति आवश्यक है, वहीं उनके ही मातहत इतनी लापरवाही करते हैं कि आयोजन समिति के लोगों को धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम करने में काफी दिक्कतों से जूझना पड़ता है।

बता दें कि जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री एवं उच्च न्यायालय तक तक का सख्त आदेश रहता है कि किसी भी सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक आदि कार्यक्रम करने के लिये जिला व पुलिस प्रशासन से अनुमति की स्वीकृति आवश्यक है। इसका पालन करते हुये आयोजन समिति द्वारा पूर्व में लिखित लेकिन अब आनलाइन आवेदन करके अनुमति मांगी जाती है लेकिन सम्बन्धित विभाग के मातहत इतनी लापरवाही करते हैं कि आयोजन समाप्त होने तक अनुमति प्रदान की संस्तुति नहीं मिल पाती है।
बताते चलें कि बीते 2018 के अक्टूबर माह में जनपद के सबसे बड़े आयोजन दुर्गा पूजा की आनलाइन आवेदन की अनुमति अभी तक प्रदान नहीं की गयी है। इतना ही नहीं, जिला मुख्यालय, केराकत सहित अन्य जगहों पर होने वाले सामाजिक, धार्मिक व सार्वजनिक कार्यक्रम के लिये की गयी आनलाइन आवेदन की संस्तुति नहीं मिल रही है। इतना ही नहीं, पुलिस विभाग का कहना है कि आनलाइन स्वीकृति की प्रक्रिया लम्बी होती है। ऐसे में सम्बन्धित प्रशासनिक अधिकारी से लिखित स्वीकृति करा लीजिये जिसमें पुलिस विभाग की स्वीकृति प्रदान हो जायेगी।
वहीं प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि आदर्श आचार संहिता लागू है। ऐसे में कोई भी आदेश लिखित नहीं दे सकते हैं। ऐसे में इस समय होने वाले धार्मिक व सामाजिक कार्यों के लिये आयोजन समिति के समक्ष गम्भीर संकट आ गयी है।
ऐसे में आयोजन समिति ने जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री, उच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराते हुये अनुमति स्वीकृति में लापरवाही करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की मांग किया है। साथ ही यह भी कहा कि या समाज में होने वाले सार्वजनिक, धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रमों पर पूरी तरह से प्रतिबंध ही लगा दिया जाय।




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