• आरोप: भाइयों की संपत्ति हड़पने के लिए राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर की धोखाधड़ी व जालसाजी

जौनपुर। सरायख्वाजा थाना क्षेत्र में धोखाधड़ी व जालसाजी कर सगे भाइयों की संपत्ति हड़पने वाले भाई व उसके पुत्र समेत चार आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश सीजेएम ने थानाध्यक्ष सरायख्वाजा को दिया।
वादी भीष्म पितामह ने अपने भाई द्रोणाचार्य व अन्य आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में दरखास्त दिया कि वादी के पिता चार भाई थे। तीन भाइयों को कोई पुत्र नहीं था। 2001 में हम चार भाइयों के नाम नोटरी वसीयतनामा हुआ। चकबंदी अधिकारी ने चारों भाइयों का नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज करने का आदेश दिया। पिता के भाई सीता राम की पत्नी शीतल देई ने भी सीताराम के वसीयत का समर्थन किया और अधिकारियों को प्रार्थनापत्र दिया। चारों भाइयों का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज हो गया।प्रार्थी व उसके दोनों अन्य छोटे भाई मुंबई में रहते हैं।

वादी के भाई द्रोणाचार्य व उनका परिवार गांव में रहता है।संपत्ति हड़पने के लिए आरोपी ने नामांतरण प्रार्थनापत्र वापस ले लिया। मूल वसीयत की जानकारी नहीं होने दिया। शीतलदेई के प्रार्थना पत्र में भी 'द्रोणाचार्य आदि' में 'आदि' शब्द काटकर केवल अपने नाम वसीयत निष्पादित होना प्रदर्शित करने का प्रयास किया हालांकि भूलवश मूल प्रार्थना पत्र ऐसा न कर सके।गांव में आने पर हम लोगों का हस्ताक्षर करा कर शीतल देई का नाम सीताराम की संपत्ति में दर्ज करा दिया। शीतल देई जिनके नाम वास्तव में कुछ भी नहीं था, से एक वसीयतनामा हम चारों भाइयों के नाम कर दिया। 14 दिसंबर 2017 को शीतल देई की मृत्यु हो गई।
एक अन्य संपत्ति हड़पने की नियत से मृत्यु के 3 माह बाद राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से आदेश करा लिया। 5 फरवरी 2017 को पंजीकृत वसीयत नामा निष्पादित करा लिया। थाना पुलिस अधीक्षक को दरखास्त के बावजूद सुनवाई नहीं हुई कोर्ट ने प्रथम दृष्टया गंभीर मामला पाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया।




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