• रास्ता व पुल के अभाव में दर्जनों गांवों के लोगों को कई किमी का लगाना पड़ता है चक्कर

हुब लाल यादव
  जौनपुर। महराजगंज क्षेत्र के बरहूपुर परिषदीय प्राथमिक व  जूनियर हाईस्कूल सहित 50 वर्ष पुराना चरियाही प्राथमिक स्कूल प्रथम के अलावा कई ऐसे स्कूल के नन्हे-मुन्ने बच्चों को आने-जाने का रास्ता नहीं है। बच्चों के अलावा शिक्षक व अभिभावक भी आने-जाने के लिये दिक्कत झेलते हैं। यही हाल चरियाही मिनी खेलकूद स्टेडियम का है जो कई एकड़ जमीन में बना है लेकिन स्टेडियम के समीप स्थित लिखिया नाले पर पुल के अभाव में तमाम दिक्कतें होती हैं।
जौनपुर के महराजगंज क्षेत्र में सम्बन्धित
लापरवाही के चलते अधूरे पड़ा रास्ता।
बता दें कि गद्दोपुर, बसहरा, कोबा, सीड, हरखपुर सहित अन्य गांवों के लोगों को कई किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। स्टेडियम परिसर में ही भगवान भोले शंकर व बजरंग बली का पुराना मंदिर है तथा हजार वर्ष पुराना कल्प वृक्ष (कदम वृक्ष) है जोे लोगों के लिये आस्था का एक बहुत बड़ा केन्द्र भी है। रास्ता व पुल के अभाव में श्रद्धालुओं की भावना पर आघात पहुंच रही है। बता दें कि चरियाही प्रथम पाठशाला बहुत पुरानी है जो फत्तूपुर सहित चारों गांव की सीमा पर है लेकिन रास्ते के अभाव में चरियाही के बच्चे उक्त विद्यालय में पढ़ने से वंचित हो रहे हैं। पैदल चलना भी मुश्किल है, क्योंकि पैदल के लिये जो मेड़ थी, वह भी कुछ लोगों द्वारा जेसीबी से खोदवा डाली गयी है। यही हाल परिषदीय विद्यालय बरहूपुर व प्राइमरी जूनियर हाईस्कूल की है। यहां भी रास्ता नहीं है जहां बरसात में बच्चो का स्कूल पहुचना मील का पत्थर है।
मल्लूपुर, चरियाही, सेनपुर, लोकापुर, भिटहर, राजपुर, रूखार को आने-जाने के लिये रास्ते का अभाव है। महराजगंज तक आसानी से पहुंचने के लिये सेक्टर मार्ग से जोड़ने सहित सड़क बनवाने की मांग कई बार की गयी लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। इस बाबत पूछे जाने पर ग्रामीणों का कहना है कि चकरोड तो कागजों पर बहुत हैं लेकिन ग्राम प्रधानों की एक मत राय नहीं बन पा रही है। रास्ते की मांग पिछले कई वर्षों से चली आ रही है।
वहीं ग्राम प्रधान शिवनाथ यादव, प्रधान राजमणि, प्रधान सुबेदार, शिव प्रसाद का कहना है कि गांवों की सीमा होने के चलते बगैर सहमति रास्ता बन नहीं पा रही है। वहीं बरहूपुर के प्रधान का कहना है कि चकरोड नहीं है, फिर भी पैदल पहुंचने तक का रास्ता निकाला गया है।




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