जौनपुर। जिला अस्पताल के डाक्टरों की मनमानी चरम पर है। रविवार की रात एक किशोर को यह कहकर इमरजेंसी के डाक्टर ने भगा दिया कि उसे टीबी हुआ है। उसका इलाज नहीं किया जा सकता। मरीज के परिजनों के गिड़गिड़ाने पर भी डाक्टर नहीं माने और उसे जमीन पर बाहर बरामदे में लेटवा दिया। जहां देर रात में किशोर तड़प तड़पकर इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया।

भंडारी निवासी अरविंद साहू का आरोप है कि वह अपने पुत्र को लेकर रविवार को जिला अस्पताल ‌गए। जहां उनके पुत्र को डाक्टरों ने भर्ती कर लिया। जब उन्हें पता चला कि उसे टीबी है तो उसे दवा देकर घर भेज दिया। रात में 11 बजे उनके लड़के की तबियत खराब हो गई तो उसे इमरजेंसी पहुंचे। जहां डाक्टर ने इलाज करने से मना कर दिया। काफी गिड़गिड़ाने पर उन्होंने बरामदे में लेटाने को कहा। जहां उनके पुत्र की समुचित ‌इलाज के अभाव में मौत हो गई।
प्रश्न यह ‌है कि जहां केंद्र सरकार गरीब मरीजों के इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना चला रही है। वहीं गरीब मरीज इलाज के अभाव में तड़प तड़प कर मर रहे हैं। ऐसी घटनाएं आए दिन जिला अस्पताल में हो रही है। लेकिन अधिकारियों के कानों में जूं नहीं रेंग रहा है।
सीएमएस डा. एसके पांडेय का कहना है कि मामला संज्ञान में नहीं है। टीबी के मरीज को भगाया नहीं जा सकता। ऐसा जिस चिकित्सक ने किया है। इसकी जांच कराई जाएगी। अगर मामला सही पाया गया तो कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।





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