जौनपुर। भगवान अपने भक्तों का उद्धार तो करते ही हैं किंतु जो भगवान के भक्त का चरण पकड़ लेता है उसका उद्धार पहले करते हैं। गजेंद्र का उद्धार करने के पहले भगवान ने ग्राह का उद्धार किया। जन्म मृत्यु कर्मों पर तो सुख-दुख भक्तों के कर्मों का फल है। गोवर्धन धारण करने वाले भगवान ने इंद्र पूजा बंद कराई। यह उद्गार मुंगराबादशाहपुर स्थित सिद्धपीठ श्री महाकाली जी के मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन वृंदावन से पधारे स्वामी अंकित आनंद जी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने आगे कहा कि भगवान यदि किसी जीव को पकड़ लेते हैं तो उसे छोड़ते नहीं। भगवान ने पहले पूतना का वध किया।फिर पूतना को सद्गति प्रदान किया। उन्होंने श्री कृष्ण जी की अनेक बाल लीला का वर्णन किया। भगवान के ऊपर गोबर भी अंगराग जैसा लग रहा था। 
महाराज जी ने माखन चोरी लीला, मृदा भक्षण लीला ,दामोदर लीला के बारे में विस्तार से लोगों को बताया। भगवान ने सुदामा को अपने मुंह में सारे ब्रह्मांड का दर्शन करा दिया। भगवान ने बकासुर, अघासुर का उद्धार किया। उन्होंने कहा कि कालिया मर्दन, कालिया पर कृपा, चीरहरण ,गोवर्धन धारण की लीला का विस्तार से वर्णन लोगों को सुनाएं। इस अवसर पर गोवर्धन धारण की दिव्य झांकी का दर्शन भी लोगों को कराया। कथा में मुख्य यजमान श्रीमती विमला जायसवाल, अनिल कुमार जायसवाल, सुनील कुमार जयसवाल, सुशील कुमार, मनोज कुमार, कृष्ण गोपाल जायसवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।