• यादव के रूप में कांग्रेस से मजबूत दिख रहे सेवादल के मुख्य संगठक सतीश यादव

जौनपुर। समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी के समझौतों के आधार पर जौनपुर सदर व मछलीशहर सीट बसपा के खाते में चले जाने से जहां सपा के दावेदारों में मायूसी छा गयी है, वहीं बसपा के दावेदार लखनऊ व दिल्ली की गणेश परिक्रमा शुरू कर दिये हैं।
भाजपा व कांग्रेस में पिछड़े वोट को अपनी तरफ खींचने के लिये योजनाओं पर चर्चा भी तेज हो गयी है, क्योंकि भाजपा ने पिछली बार जब देखा कि सदर विधानसभा में कांग्रेस-सपा गठबंधन से उस समय के विधायक नदीम जावेद टिकट पाये तो भाजपा ने गिरीश चन्द्र यादव को टिकट देकर यादवों को अपनी तरफ बटोर लिया। परिणाम भी अच्छा हुआ और गिरीश भारी मतों से विजयी हो गये। जीत के अन्तर को देखते हुये गिरीश यादव को भाजपा सरकार ने मंत्री भी बना दिया।

इसी समीकरण के मद्देनजर यदि कोई भी पार्टी किसी यादव को सदर लोकसभा से टिकट देता है तो वह जिताऊ प्रत्याशी हो सकता है, क्योंकि सदर लोकसभा में मल्हनी, सदर, बदलापुर, शाहगंज व मुंगराबादशाहपुर विधानसभा आता। इनमें 3 विधायक  शाहगंज, सदर व मल्हनी में यादव ही हैं। मुंगराबादशाहपुर व बदलापुर में भी सबसे ज्यादा वोट यादवों का ही है। फिलहाल जो कुछ भी हो, पार्टी सूत्रों के अनुसार जहां सदर लोकसभा से बसपा के लिये पूर्व सांसद उमाकांत यादव अपने बेटे दिनेशकांत यादव, प्रसाद इन्स्टीच्यूट के चेयरमैन बीपी यादव, पूर्व विधायक लालजी यादव लगे हुये हैं, वहीं सपा के वर्तमान विधायक पारसनाथ यादव, शैलेन्द्र यादव ललई अभी भी सदर सीट को सपा के पाले में आने की उम्मीद लेकर अपनी भी आस बनाये हुये हैं।
उधर भाजपा भी बसपा प्रत्याशी की घोषणा होने तक का इंतजार करती नजर आ रही है, क्योंकि यदि बसपा से कोई गैरयादव आया तो निश्चित ही राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव पर भाजपा अपना पत्ता खोल सकती है।
इधर कांग्रेस से दावा करने वालों की सूची काफी लम्बी है लेकिन जहां बात यादव की होगी तो कांग्रेस अपना दांव लखनऊ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सतीश यादव जैसे युवा चेहरे पर पर लगा सकती है। बता दें कि श्री यादव बक्शा ब्लाक अध्यक्ष, अखिल भारतीय राजीव गांधी प्रगतिशील विचार मंच के जिला प्रवक्ता, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के जिला उपाध्यक्ष के रूप में पार्टी की सेवा करते हुये वर्तमान में कांग्रेस सेवादल जौनपुर के मुख्य संगठक हैं। अगर किसी पिछड़े को टिकट देने की बात कांग्रेस में होगी तो इनके नाम पर अवश्य विचार होगा, ऐसा राजनैतिक गलियारों की खबर है। चूंकि यादव अब सिर्फ सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को ही नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी अपना नेता चुनने लगा है, इसलिये ऐसे समीकरण तेजी से बनने लगे हैं।




DOWNLOAD APP