जौनपुर। आगामी लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा प्रत्या‌शियों की तस्वीर साफ होने क‌े बाद जौनपुर एवं मछलीशहर सीट पर भाजपा के दोबारा परचम लहराना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। ऐसी स्थिति में भाजपा कोई नई राह तलाश कर सकती है। ऐसी संभावना है कि जौनपुर सदर सीट समझौते में किसी सहयोगी दल को देकर ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ाया जा सकता है। जिसका अपना खुद ‌का भी वजूद हो। ऐसी अटकलें राजनैतिक गलियारें में चर्चा का विषय बना हुआ है। जो भी हो सपा-बसपा के गठबंधन से सियासी हलचल बढ़ गई है। बसपा की झोली में दोनों सीटें गई है।
लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने सदर लोकसभा एवं मछलीशहर लोकसभा में जीत हासिल किया था। भाजपा के केपी सिंह को तीन लाख 67 हजार 149 मत मिले थे। जबकि बसपा के सुभाषचंद्र पांडेय को दो लाख बीस हजार 839 मत एवं सपा के पारसनाथ यादव को एक लाख 80 हजार 803 मत प्राप्त हुआ था। निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े पूर्व सांसद धनन्जय सिंह को तकरीबन 64 हजार से अधिक मत मिले थे।
इसी क्रम में मछली शहर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार रामचरित्र निषाद को चार लाख 38 हजार 210 मत मिले थे। जबकि बसपा के वीपी सरोज को दो लाख 66 हजार 55 मत और समाजवादी पार्टी के तूफानी सरोज को एक लाख 91 हजार 387 मत मिले थे। ऐसे में बसपा एवं सपा का गठबंधन भाजपा की चुनौती बढ़ाएंगा। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो दोनों दलों की मजबूती पिछले चुनाव में मिले वोटों के आंकड़े के अनुसार वैसे ही जगजाहिर है।
वर्ष 2014 में जो मोदी लहर चली थीं वो अब नहीं है। बदले हालातों की चुनौती के बीच भाजपा की बेचैनी बढ़ गई है। सदर लोकसभा सीट बदलने की आम चर्चाएं भी है। भाजपा के उच्च पदस्त सूत्रों की मानें तो ऐसे प्रत्याशी को मैदान में उतारा जा सकता है जिसका अपना वजूद हो यानी एक लाख वोट प्लस करने की क्षमता हो। ऐसे दो नामों पर भाजपा विचार सहयोगी दलों के माध्यम से कर सकती है।





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