रीता विश्वकर्मा
विश्व के अनेकों हिस्सों में जब भी भूकम्प आता है तो इनसे सम्बन्धित खबरें ब्रेकिंग न्यूज के रूप में मीडिया में आती हैं। मीडिया में प्रकाशित/प्रसारित ऐसी खबरों से लोगों में भूकम्प को लेकर दहशत व्याप्त हो जाती है और लोग ऊपर वाले से दुआ करते हैं कि उनके यहाँ ऐसी घटना न हो, जान-माल सुरक्षित रहे। परन्तु उत्तर प्रदेश के जनपद अम्बेडकरनगर में एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ नित्य भूकम्प का आभास करने वाले लोगों के रातों की नींद उड़ी हुई है। ऐसा कहाँ और क्यों होता है, आप भी जाने...

उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जिले के मुख्यालयी शहर अकबरपुर के बस स्टेशन इलाके में नित्य भूकम्प के झटके महसूस किए जाते हैं। ये झटके इतने तीव्र होते हैं कि वार्ड नम्बर 10 और 11 में बने मकान हिल जाते हैं। इस तरह का भूकम्पन देर शाम से पूरी रात चलता है, जब लोग अपने-अपने घरों में रात्रि कालीन भोजन करके नींद ले रहे होते हैं। इस तरह का भूकम्पन अकबरपुर शहर के मध्य से गुजरने वाले सड़क पर बने गति अवरोधकों की वजह से होता है। यह तब जब उक्त स्पीड ब्रेकर से होकर लोडेड ट्रक, बड़े वाहन अपनी तीव्रगति से गुजरते हैं।
यहाँ बता दें कि अकबरपुर-टाण्डा सड़क मार्ग पर बस स्टेशन के उत्तर, एल.आई.सी. गली और उसरहवा गली के सामने आधा दर्जन कम ऊंचाई के गति अवरोधक बनाए गए हैं जिसके बारे में किसी तरह का संकेतक नहीं लगाया गया है। परिणाम यह होता है कि नो-इण्ट्री अवधि समाप्ति के बाद द्रुतगामी बड़े लोडेड वाहनों के इन पर से गुजरने पर धमाकेदार आवाज होती है और पूरे इलाके में बने मकान हिल जाते हैं।

पिछले वर्ष सुरक्षा के दृष्टिगत बने इन गतिअवरोधकों पर रिफ्लेक्टर न लगे होने के कारण दूर से ये दिखाई नहीं पड़ते हैं परिणाम यह होता है कि वाहन अपनी पूरी गति में इन ब्रेकरों पर से गुजरते है इस दौरान वाहन क्षतिग्रस्त तो होते ही हैं साथ ही धमाकेदार आवाज से क्षेत्र में व्याप्त नीरवता भंग हो जाती है। रात्रि जागरण कर रहे लोगों को भूकम्पन जैसा आभास होता है। क्षेत्र के अनेकों नगरजनों ने बताया कि ऐसी स्थिति तब से उत्पन्न हुई है जब से ये स्पीड ब्रेकर बने हैं। उनका कहना है कि ये स्पीड ब्रेकर गतिअवरोध करने में तो नाकाम हैं, परन्तु इनसे वाहन व वाहन चालकों तथा उन पर बैठे व लदे लोगों/ सामानों की बॉडी ब्रेक करने का काम अवश्य ही कर रहे हैं।
कम ऊंचाई और बगैर रिफ्लेक्टर बनाये गए स्पीड ब्रेकर वाहनों की गति में कमी तो नहीं ला पाते उल्टे वाहनों की बॉडी हिचकोले खाकर डैमेज होती है, साथ ही धमाकेदार आवाज से अगल-बगल के रिहायशी घरों में रहने वाले लोगों में भूकम्प को लेकर एक अनजाना सा भय उत्पन्न हो जाता है। लोगों ने मांग किया है कि इन गतिअवरोधकों को ऊंचा करके इनमें रिफ्लेक्टर लगाए जाएं साथ ही सड़क के दोनों तरफ संकेतक लगाये जाएँ, जिससे वाहन चालकों को जानकारी हो सके कि यहाँ स्पीड ब्रेकर है और वह स्वयं स्पीड को नियंत्रित कर सुरक्षित आवागमन कर सके। इस तरह होने से न तो तेज धमाका होगा और न ही भूकम्पन का आभास। इस क्षेत्र के रिहायशी इलाकों के लोग रात को चैन की नींद ले सकेंगे।




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