कैंसर - एक बीमारी, जिसमें असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं और शरीर के ऊतकों को नष्ट कर देती हैं।
ओरल कैंसर/मुख कैंसर:-
जब शरीर के ओरल कैविटी के किसी भी भाग में कैंसर होता है तो इसे ओरल कैंसर कहा जाता है। ओरल कैविटी में होंठ, गाल, लार ग्रंथिया, कोमल व हार्ड तालू, यूवुला, मसूडों, टॉन्सिल, जीभ और जीभ के अंदर का हिस्‍सा आते हैं। इस कैंसर के होने का कारण ओरल कैविटी के भागों में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि होती है।
ओरल कैंसर आज हमारे देश की एक प्रमुख समस्या के रुप में बीमारी उभरी है सबसे ज्यादा पुरुषों में पाया जाता है। जर्नल ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च के अनुसार भारत में हर एक लाख लाख की आबादी में हर बीसवाँ आदमी मुँह के कैन्सर से ग्रस्त है।
कैसे होता है ओरल कैंसर-
1. स्मोकिंग-सिगरेट, सिगार, हुक्का, इन तीनों चीज़ों के आदी लोगों को एक नॉनस्मोकर के मुकाबले माउथ कैंसर होने  का 6 फीसदी ज्यादा खतरा होता है।
2. तंबाकू-माउथ कैंसर होने का खतरा तंबाकू सूंघने, खाने या चबाने वाले लोगों को उनकी तुलना में 50 फीसदी ज्यादा होता है, जो तंबाकू यूज़ नहीं करते। 
3. एल्कोहल-शराब पीने वालों को माउथ कैंसर होने का खतरा बाकी लोगों से 6 फीसद ज्यादा होता है।
4. हिस्ट्री-जिन लोगों के परिवार में पहले किसी को माउथ कैंसर रहा हो, ऐसे लोगों को इस कैंसर का ज्यादा खतरा होता है।
ओरल कैंसर के कई कारण जैसे, तम्‍बाकू (तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला, पान, गुटखा) व शराब का अधिक तथा ओरल सेक्स व मुंह की साफ-सफाई ठीक से न करना आदि हैं। 
ओरल कैंसर के लक्षण
1-बिना किसी कारण नियमित बुखार आना।
2-थकान होना, सामान्‍य गतिविध करने से थक जाना।
3-गर्दन में किसी प्रकार की गांठ का होना।
4-ओरल कैंसर के कारण बिना कारण वजन का कम होता रहता है।
5-मुंह में हो रहे छाले या घाव जो कि भर ना रहे हों।
6-जबड़ों से रक्त का आना या जबड़ों में सूजन होना।
7-मुंह का कोई ऐसा क्षेत्र जिसका रंग बदल रहा हो।
8-गालों में लम्बे समय तक रहने वाली गांठ।
9-बिना किसी कारण लम्बे समय तक गले में सूजन होना।
10-मरीज की आवाज में बदलाव होना।
11-चबाने या निगलने में परेशानी होना।
12-जबड़े या होठों को घुमाने में परेशानी होना।
13-अनायास ही दांतों का गिरना।
14-दांत या जबड़ों के आसपास तेज दर्द होना।
15-मुंह में किसी प्रकार की जलन या दर्द।
16-ऐसा महसूस करना कि आपके गले में कुछ फंसा हुआ है।
मुंह के कैंसर की पहचान:-
शरीर का वो भाग जिसमें कि कैंसर की संभावना है उसमें से थोड़े से रक्त की जॉच कराएं।बायोप्सी द्वारा मसल्‍स की जॉच।
चिकित्सक से कब सलाह लें:
मुहँ, चेहरा या गले में पुराना पीड़ादायक घाव जो ठीक न हो रहा हो।
मुहँ खोलने में कठिनाई।
जीभ, मसूड़ों और मुहँ के भीतरी हिस्सों में सफेद, लाल या मिश्रित चकत्ते होना।
गले में गाठँ होना।
मुहँ, जीभ, जबडे़ में दर्द और चबाने या निगलने में कठिनाई।
होंठ, मसूड़ों या मुहँ की भीतरी हिस्सों पर सूजन या गांठ होना।
मुहँ में अस्पष्टीकृत रक्तस्त्राव।
स्वर का कर्कश होना या आवाज में परिवर्तन।
ढीला दाँत और बुरी फिटिंग का डेन्चर।
अस्पष्टीकृत वजन घटना।
उपर्युक्त यदि इनमें सें कुछ भी 2 सप्ताह सें अधिक के लिए होता है, तो निदान व जाँच के लिये चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
बायोप्सी (टुकड़े की जांच): टुकड़े की जाँच में संदिग्ध क्षेत्र से पंच बायोप्सी औंजार का प्रयोग कर टुकड़ा लिया जाता हैं। कभी-कभी जाँच के लिये एण्डोस्कोपी का प्रयोग भी किया जाता हैं जिससे टुकड़े की जाचँ सुलभता से हो सकें। बायोप्सी में प्राप्त उतकों कों संसाधित करके प्रयोगशाला में कैंसर के होने के प्रमाण देखे जाते हैं।
ओरल कैंसर की चिकित्सा:--
स्टेज 0 या स्टेज 1 होने वाला ट्यूमर टिश्यूज में पूरी तरह से हमला नहीं करता जबकि स्टेज 3 या स्टेज 4 का कैंसर पूरी तरह से टिश्यूज पर हमला कर आसपास के टिश्यूज़ को भी प्रभावित करता है। ओरल कैंसर का इलाज इस बात भी निर्भर करता है कि आखिर कैंसर किस रफ्तार से फैल रहा है। ओरल कैंसर की सबसे आम प्रकार की चिकित्सा है सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी।ओरल कैंसर की चिकित्सक के लिए पुनर्वास का भी सहारा लिया जाता है जिससे कि बोलने और खाने की क्षमता प्राप्त की जा सके जैसे अगर व्यापक सर्जरी की जा रही है तो उसमें कास्मेटिक सर्जरी भी की जानी चाहिए।
डेंटिस्ट के पास जाएं  
मुंह की सेहत के लिए डेंटिस्ट के पास नियमित रूप से जाना चाहिए। मुंह में कोई असामान्य बदलाव, गांठ या निशान नजर आए तो डॉक्टर के पास जाने से परहेज करना किसी बड़े खतरे को न्यौता देने से कम नहीं है।
Dr. Saurabh Kumar Upadhyay
Oral & Dental surgeon
Vidya dental hospital research and trouma centre