जौनपुर: आतंकवादी रोनी ने हाई कोर्ट में अपने को बताया अवयस्क | #AAPKIUMMID
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जौनपुर। श्रमजीवी विस्फोट कांड में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कोर्ट द्वारा मृत्यु दंड की सजा से दंडित किए गए बांग्लादेशी आतंकवादी आलमगीर उर्फ रोनी ने हाईकोर्ट में अपील में स्वयं को घटना के समय अवयस्क होने का आधार दिया। हाई कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड को आदेश दिया कि 1 माह के भीतर आरोपी की अवयस्कता के संबंध में जांच कर रिपोर्ट भेजें। हाईकोर्ट के आदेश पर सीजेएम ने किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि 18 जनवरी तक जांच कर रिपोर्ट उनके कार्यालय में उपलब्ध कराएं जिससे रिपोर्ट हाईकोर्ट भेजी जा सके।
बता दें कि 28 जुलाई 2005 की शाम सवा पांच बजे हरपालगंज के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में बम विस्फोट में 14 लोग मरे थे व 62 घायल हुए थे। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम ने 30 जुलाई 2016 को विस्फोट कांड में बांग्लादेशी आतंकवादी रोनी उर्फ आलमगीर को ट्रेन में बम रखने का आरोपी पाते हुए मृत्युदंड व जुर्माने की सजा सुनाया था। आरोपी ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर किया जिसमें उसने तर्क दिया कि घटना के समय वह नाबालिग था।
हाईकोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड को आरोपी की अवयस्कता के संबंध में समुचित जांच कर एक माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी सीजेएम को मिलने के बाद सीजेएम ने बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट को आदेश दिया की 18 जनवरी 2019 तक हाईकोर्ट के आदेश के अनुक्रम में जांच कर आख्या कार्यालय में भेजें।
मामले में ओबैदुर्हमान को भी कोर्ट द्वारा मृत्यु दंड से दंडित किया गया था जिसकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है। दो अन्य आरोपी हिलाल व नफीकुल विश्वास का विचारण अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की कोर्ट में चल रहा है इस मामले में आरोपियों की तरफ से बहस होना शेष है।
बता दें कि 28 जुलाई 2005 की शाम सवा पांच बजे हरपालगंज के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में बम विस्फोट में 14 लोग मरे थे व 62 घायल हुए थे। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम ने 30 जुलाई 2016 को विस्फोट कांड में बांग्लादेशी आतंकवादी रोनी उर्फ आलमगीर को ट्रेन में बम रखने का आरोपी पाते हुए मृत्युदंड व जुर्माने की सजा सुनाया था। आरोपी ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर किया जिसमें उसने तर्क दिया कि घटना के समय वह नाबालिग था।
हाईकोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड को आरोपी की अवयस्कता के संबंध में समुचित जांच कर एक माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी सीजेएम को मिलने के बाद सीजेएम ने बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट को आदेश दिया की 18 जनवरी 2019 तक हाईकोर्ट के आदेश के अनुक्रम में जांच कर आख्या कार्यालय में भेजें।
मामले में ओबैदुर्हमान को भी कोर्ट द्वारा मृत्यु दंड से दंडित किया गया था जिसकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है। दो अन्य आरोपी हिलाल व नफीकुल विश्वास का विचारण अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की कोर्ट में चल रहा है इस मामले में आरोपियों की तरफ से बहस होना शेष है।