• मामला गाजीपुर में छात्रों को हत्या के लिए उकसाने वाला वक्तव्य देने का

जौनपुर। गाजीपुर में एक संगोष्ठी के दौरान छात्रों को हत्या के लिए उकसाने वाला वक्तव्य देने के आरोप में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजाराम यादव के खिलाफ अधिवक्ता विकास तिवारी द्वारा दायर परिवाद को सीजेएम ने बतौर वाद दर्ज कर लिया है। 17 जनवरी को सुनवाई की तिथि नियत की गई है।
मामले के अनुसार अधिवक्ता विकास तिवारी ने कोर्ट में परिवाद पत्र दाखिल कर आरोप लगाया है कि 28 दिसंबर 2018 को गाजीपुर में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजाराम यादव ने छात्रों को संबोधन में वक्तव्य दिया कि अगर पूर्वांचल विश्वविद्यालय के छात्र हो तो कभी मेरे पास रोते हुए मत आना। किसी से झगड़ा हो तो उसकी पिटाई करके आना। बस चले तो मर्डर करके आना। उसके बाद हम देख लेंगे।
परिवादी के अलावा इस वक्तव्य को पंकज सोनकर, आशीष शुक्ला, आलोक राय आदि बहुत से लोगों ने प्रिंट, सोशल व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 30 दिसंबर को देखा जिससे उनकी भावनाएं आहत हुई, क्षोभ व भय कारित हुआ। परिवादी के अधिवक्ता विनोद श्रीवास्तव, उपेंद्र विक्रम सिंह, हिमांशु श्रीवास्तव ने तर्क किया कि कुलपति ने उच्च व जिम्मेदार पद पर होते हुए कानून के निर्देशों की अवहेलना कर वक्तव्य दिये जिससे छात्रों में उत्तेजना व उन्माद को बढ़ावा मिला।
कुलपति ने भारत की एकता व अखंडता को तोड़ने का प्रयास किया एवं राजद्रोह का अपराध किया। छात्रों को हत्या के लिए उकसाया जिससे लोक शांति भंग होने की संभावना पैदा हुई। कथन के समर्थन में अरुण जेटली बनाम स्टेट ऑफ यूपी की हाईकोर्ट की रूलिंग का हवाला दिया गया। विभिन्न अखबारों की कटिंग सबूत के तौर पर पेश किया।
परिवादी ने आरोपी कुलपति को तलब कर दंडित करने की कोर्ट से मांग किया। जिसे संज्ञान में लेते हुए मजिस्ट्रेट ने कुलपति के खिलाफ परिवाद दर्ज करते हुए उसकी पोषणीयता पर सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की है।




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