जौनपुर: वर्षों से उपेक्षा का शिकार है 1942 की क्रान्ति के शहीद का स्मारक | #AAPKIUMMID
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- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राज नारायण पाण्डेय की मनी पुण्यतिथि
बता दें कि स्व. पाण्डेय ने 6 जनवरी 1943 को अंग्रेजों की यातना सहते हुये जिला जेल में अपनी अंतिम सांस ली थी। वह स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिये थे। 1942 की क्रांति हो या फिर अंग्रेजों के खिलाफ किसी भी प्रकार का आंदोलन, वह हमेशा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। इस मौके पर श्री पाण्डेय के भतीजे अधिवक्ता प्रदीप पाण्डेय ने बताया कि अगस्त 1942 रेलवे स्टेशन व अंग्रेजों द्वारा निर्मित गोमती नदी पर बने सेतु को तोड़ने के साथ डोभी रेलवे स्टेशन को लूटने के आरोप में अंग्रेजों ने स्व. पाण्डेय को गिरफ्तार कर लिया और जौनपुर के जिला जेल में बंद कर दिया जहां कई दिनों तक यातनाएं दी गयीं जिसके बाद 6 जनवरी 1943 को जेल में ही उनकी मौत हो गयी।
इसके बाद स्व. पाण्डेय के छोटे भाई राम नारायण पाण्डेय भी स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना शुरू कर लिये जिन्हें भी अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया। राम नारायण पाण्डेय की 13 मार्च 2005 को वाराणसी के रामकृष्ण मिशन अस्पताल में मौत हो गयी। वाराणसी-आजमगढ़ मार्ग पर बीरभानपुर में स्थित राज नारायण पाण्डेय का स्मारक आज उपेक्षा का शिकार है। शासन व प्रशासन द्वारा पिछले कई वर्षों से यह स्मारक उपेक्षित है।
स्मारक के आस-पास घास, फूस, झाड़ियां आदि लगी हैं लेकिन कोई भी सुधि लेने वाला नहीं है। पुण्यतिथि अवसर पर सुरेन्द्र पाण्डेय, अशोक पाण्डेय, सुदामा, अनिल, अवधेश, संतोष, पंकज, गोपाल, लालजी सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।