सुइथाकला, जौनपुर। विकासखण्ड स्थित अमावांखुर्द गांव में बृजेंद्र सिंह के निज निवास पर चल रहे सात दिवसीय भागवत कथा के समापन अवसर पर कथा श्रवण कराते पं. शारदा प्रसाद तिवारी ने रुक्मिणी विवाह, कृष्ण सुदामा मैत्री तथा श्रीमद्भागवत महापुराण माहात्म्य की कथा सुनाकर उपस्थित भक्तों को भाव विभोर कर दिया।
भागवत कथा महात्म्य के अनुक्रम में कथावाचक ने कहा कि भागवत कथा परमात्मा के सानिध्य में जाने और लौकिक जगत के बंधनों से मुक्त होने का सहज माध्यम है। अपने माया से पुरुष रूप धारण करने वाले भगवान श्री हरि ने जब सृष्टि के लिए संकल्प किया तब उनके दिव्य विग्रह से तीन पुरुष प्रगट हुए इनमें रजोगुण की प्रधानता से ब्रह्मा, सत्व गुण की प्रधानता से विष्णु तथा तमोगुण की प्रधानता से रुद्र प्रगट हुए। आदि देव ने इन तीनों को क्रम से जगत की उत्पत्ति, पालन और संहार करने का अधिकार प्रदान किया।
तब भगवान के नाभि कमल से उत्पन्न ब्रह्मा जी ने उनसे अपना मनोभाव प्रकट करते हुए कहा कि परमात्मा आप "नार" अर्थात जल में शयन करने के कारण नारायण नाम से प्रसिद्ध है। सबके आदि कारण होने से आदि पुरुष हैं। प्रभू आपने मुझे सृष्टि सृजन के कर्म में लगाया है मगर मुझे भय है कि सृष्टि काल में अत्यंत पापात्मा रजोगुण आपकी स्मृति में कहीं बाधा न डालने लग जाय। ब्रह्मा जी की प्रार्थना को सुनकर भगवान ने उन्हें श्रीमद्भागवत का उपदेश देकर उनके संदेह को दूर किया। सप्ताह यज्ञ को विधिपूर्वक सात दिनों तक श्रीमद्भागवत कथा का सेवन करने से ब्रह्मा जी के सभी मनोरथ पूर्ण हो गए। इस अवसर पर हिरेंद्र सिंह, नागेंद्र बहादुर सिंह, सरविंद सिंह, उपेंद्र सिंह, भाष्कर सिंह आदि उपस्थित रहे।

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