बहुत से सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर अपनी बेबाक राय रखने वाले रायपुर छत्तीसगढ़ के राजनीतिक विश्लेषक और समाजसेवी प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने तीन तलाक पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि तीन तलाक़ पर ग़लतफ़हमी… एक साथ तीन तलाक़ (Instant triple talaaque) वैसे भी शरीयत और क़ुरआन के अनुसार जायज़ नहीं है। आप उस पर क़ानून बना दीजिए, किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ना चाहिए, पर सरकारों का काम किसी धर्म में घुसपैठ नहीं है। ऐसे तो आपको जैन धर्म का संथारा भी बंद करना पड़ेगा।

ये सनद रहे कि शरीयत और क़ुरआन के मुताबिक तीन तलाक़ आज भी भारत में हलाल है और रहेगा। यानी पति पत्नी के बीच समझौते का तीन मौका। एक-एक महीने की इद्दत के बाद। अगर बीच में ही दोनों में समझौता हो जाए तो पहला तलाक़ खत्म। अब दूसरे और तीसरे तलाक़ का इस्तेमाल पति चाहे तो जीवन में कभी भी कर ले। 15 साल बाद या 50 साल बाद। और अगर पति पत्नी में बनती है तो कभी इसकी ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी। दोनों जीवन भर साथ रहेंगे। पत्नी भी चाहे तो जीवन में कभी भी खुला लेकर पति से छुटकारा पा सकती है। तो ये है इस्लाम का असली क़ानून। किसी को ज़बरदस्ती बांध के नहीं रखा जाता।
इसलिए तीन तलाक़ अब भी लागू है। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ एक साथ तीन तलाक़ यानी एक ही झटके में तलाक़ तलाक़ तलाक़ बोल कर बीवी से सम्बन्ध तोड़ने को रोका था। चूंकि क़ुरआन के मुताबिक ये है भी नहीं, सो दुनिया के किसी मुसलमान को इसे खत्म करने पे ऐतराज़ नहीं होगा। मीडिया के जिन साथियों को तीन तलाक़ की उचित जानकारी नहीं है, उनको भी जानकारी जुटानी चाहिए। हेडिंग में instant triple talaaque, यानी -एक साथ तीन तलाक़- आना चाहिए सिर्फ -तीन तलाक़- नहीं।
इस देश में क्या, दुनिया के हर देश में तीन तलाक़ लागू है, जहां का संविधान धार्मिक आज़ादी देता है। जो अन पढ़ मुसलमान एक साथ तीन तलाक़ देते थे और क़ुरआन का मज़ाक उड़ाते थे, अच्छा हुआ कि अब वे जेल जाएं। क़ुरआन के मुताबिक इद्दत की अवधि पूरी करके वे आज भी तीन तलाक़ दे सकते हैं। इस पे कोई रोक नहीं।
रही बीजेपी की बात तो क़ानून उनको मंदिर बनाने के लिए लाना था और क़ानून तलाक़ पर बना रहे हैं। कहीं ऐसा ना हो कि ना ख़ुदा ही मिला ना विसाले सनम, ना इधर के रहे और ना उधर के! और शादी कोई तलाक़ देने के लिए नहीं करता है। अब मियाँ बीवी के झगड़े भी सरकार सुलझाएगी क्या? ये ठीक उसी तरह backfire कर सकता है, जैसे अटल जी के लिए POTA नामक क़ानून कर गया था।
क्या विडम्बना है कि जो लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश को धता बताते हुए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे हैं, आज तक उनको मंदिर में घुसने नहीं दिया, नारी अधिकार की धज्जियाँ उड़ा दीं, वहीं लोग नारी अधिकार की दुहाई देते हुए आज instant triple talaaque पे क़ानून ला रहे हैं। जनता बहुत ही समझदार है और लोकसभा चुनाव आने वाले हैं।
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय

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