• पूड़ी, दाल, बाटी, चोखा, सब्जी का उठाया लुत्फ

जौनपुुर। आधुनिकता के इस दौर में भारतीय रीति-रिवाजों से लगाव रखने वाले कुनबों के लिए शुक्रवार का दिन अक्षय नवमी के नाते बहुत अहम रहा। आंवला के पेड़ तले जले चूल्हे पर बनाए गए भोजन का लोगों ने छक कर सेवन किया। भोजन के लिए परिजनों संग मित्रों व संबंधियों के भी जमावड़े से आत्मीयता को भी बढ़ावा मिला।
एेसी मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवला के पेड़ के पूजन से त्रिदेव अर्थात् ब्रह्मा-विष्णु-महेश के साथ ही माता लक्ष्मी की अपार कृपा प्राप्त होती है। पुरातन काल से धार्मिक आस्था है कि इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बनाए गए भोजन को ग्रहण करने से अक्षय स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। भोजन में गिरने वाली पत्तियां अमृत के समान होती हैं।
ग्रामीणांचलों के साथ ही शहर में भी अक्षय नवमी के मौके पर आंवला के पेड़ के नीचे भोजन बनाने के लिए अल सुबह महिलाओं के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया। ईंट जोड़ कर चू्ल्हे बनाए गए तो गैस चूल्हे भी जले।
किसी ने गोहरा जलाकर बाटी बनाई तो किसी ने कड़ाही में छानी। तैयार होने के बाद परिवार, मित्रोें व संबंधियों के साथ किए गए भोजन ने आत्मीयता व भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया। शहर में बड़े हनुमान मंदिर, अचला देवी घाट व ईशापुर बभनी सहित कई स्थानों पर खूब भीड़-भाड़ रही।