• अखंड सौभाग्य और पुत्र के दीर्घायु होने की कामना की

जौनपुर। सूर्योपासना का महापर्व छठ बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो गया। व्रत रखने वाली महिला और पुरुषों ने नदी और जलाशयों के पानी में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया।
अर्घ्य देने के लिए भोर में चार बजे से घाटों पर महिलाओं के पहुंचने का ​सि​लसिला शुरू हो गया। गीत गाते हुए महिलाएं प्रसाद लेकर नदी और जलाशयों के घाटों पर पहुंची। इस दौरान घाट भक्ति गीतों से गूंजते रहे। व्रती महिलाएं भोर में ही स्नान आदि करके नए वस्त्र धारण करने के बाद प्रसाद के साथ घाटों पर पहुंची।
आस्था और संस्कार के छठ पर्व पर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया है। अर्घ्य देने के साथ ही परिवार और संतान के कल्याण के लिए भगवान सूर्य से मिन्नतें मांगी। चार दिनों से चल रहे छठ व्रत का बुधवार को समापन हो गया। व्रती महिलाओं के हाथों में सूप में प्रसाद के साथ भक्ति में डूबी नजर आई। हाथ में प्रसाद का सूप तो दूसरे हाथ में जलता हुआ दीपक लेकर घर वापस लौटी। घर लौटने के बाद घर के अलावा पास पड़ोस में लोगों को ठेकुआ से प्रसाद वितरित किया।

छठ व्रत रखने वाली महिलाओं ने रात दो बजे ही उठकर प्रसाद सजाने के साथ पूजा के सामान को जुटाने में लग गई थी। स्नान आदि करके चार बजे भोर में ही पूजा स्थल और घाट के लिए निकल ​दिए। कुछ महिलाएं तो चार बजे के करीब घाट पर पहुंच चुकी थी। महिलाओं के साथ बच्चें भी घाटों पर जाने में पीछे नहीं रहे। आस्था और विश्वास के पर्व डाला छठ पर व्रती महिलाओं ने भगवान को अर्ध्य देने के बाद प्रसाद चढ़ाया। बाजार में एक दिन पहले ही केला, सेव, अनार, बड़ा वाला नीबू, कंद, गन्ना के अलावा अन्य फल भी चढ़ाकर पूजा की। छठ माता के लिए बनाया गया विशेष प्रसाद ठेकुआ भी चढ़ाया।
डाला छठ पर्व पर बुधवार को सुबह घाटों पर मेले जैसा माहौल रहा। भगवान भाष्कर को अर्ध्य देने के बाद महिलाएं काफी खुश नजर आ रही थी। कुछ महिलाओं ने पूजा के दौरान परिवार के साथ घाट पर फोटो खिचाने के बाद सेल्फी भी ​लेते देखी गई। घाट पर भीड़ होने के कारण अर्ध्य देने के लिए घाटों पर भीड़ लगी रही। मान्यता है कि पानी में खड़े होकर ही अर्ध्य देना है। इस नाते भी हर कोई नदी और जलाशय के पानी तक पहुंचना चाह रहा था। धक्का मुक्की के बीच किसी तरह लोगों ने भगवान भाष्कर को अर्ध्य दिया।
छठ व्रत के समापन और घाट से पूजा करके वापस लौटने के बाद बुधवार को प्रसाद बांटने का सिलसिला शुरू हुआ। व्रती महिलाओं ने पास पडोस के लोगों के घर भी प्रसाद पहुंचाया। रविवार का नहायखाय के साथ शुरू हुआ चार दिनी पर्व बुधवार को उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ समाप्त हो गया।