• गंगा तट पर सजी असंख्य दीपमालाएं, चहुंओर उजियारा, अद्भुत-अप्रतिम नजारा
  • राज्यपाल रामनाइक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संग सिने स्टार अनिल कपूर रहे मौजूद 
  • गंगा की लहरों पर लहराते दीपों की छटा देख देश-विदेश के लोग मंत्रमुग्ध
  • लाखों ने लगाई आस्था की डुबकी, किया दान-पुण्य
सुरेश गांधी
वाराणसी। ..कहा जाता है कि वामन अवतार लेने के बाद जब नारायण स्वर्गलोक पहुंचे तो वहां उनका भव्य स्वागत किया गया। देवताओं ने हरि का वैसा ही अभिनंदन किया जैसा कि अयोध्या लौटने पर श्रीराम का हुआ था। जिस दिन भगवान विष्णु स्वर्गलोक पहुंचे व भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर आम जनमानस को अत्याचार से मुक्ति दिलाई वो कार्तिक पूर्णिमा का ही दिन था। वो दिन आज भी देवदीपावली के रूप में मनाया जाता है। भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में देव दीपावली मनाने का बिल्कुल अनोखा अंदाज हैं। घाट की सीढ़ियों पर टिमटिमाते दिये और आसमान में चमकते तारों के साथ चांदनी बिखेरता पूर्णिमा की चांद के बीच पूरा गंगातट लाखों दीपों से जगमगा उठा, कण-कण को रोशन हो गया।
अर्द्धचंद्राकार घाटों पर कतारबद्ध दीप मालाएं और आकर्षक आतिशबाजी ने मानो काशी में स्वर्गलोक को उतार दिया। दीपों की झिलमिलाहट देख कर ऐसा एहसास हुआ जैसे सचमुच आसमान में सितारों संग आमजन अठखेलियां कर रहे हो। दीपों का साथ पाकर पूनम की रात भी इठला उठी। खासकर पहली बार लेजर शो की रश्मियों और आतिशबाजी ने इन दृश्यों को आंखों में सजोने आएं लाखों लोगों को चकाचौंध कर दिया, चहुंओर उजियारा फैल गया। लोगों को अनुभूत हुआ मानो आज देवाधिदेव की नगरी काशी में समस्त देवगणों संग भगवान भास्कर भी बाबा भोलेनाथ की आराधना करने के लिए अस्त नहीं हुए। इस चकाचौंध में जब गंगा के पानी में पूर्णिमा के चांद व आकाश के तारों का प्रतिबिम्ब असंख्य दीयों के बीच अपनी छटा दिखाई तो मानों स्वर्ग हजारों दीपक अर्धचन्द्राकार आकृति में ऐसे लग रहे थे जैसे काशी के गले में दीपों की माला हो।
धर्म-अध्यात्म और राष्ट्रीय भावना के इस पर्व पर दीपों के प्रकाश से प्रदीप्त गंगा के अप्रतिम सौंदर्य को निहारने के लिए देश-दुनिया से लाखों लोग जुटे। इनमें प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रेल मंत्री पीयूष गोयल, पर्यटन मंत्री डा. रीता बहुगुणा जोशी, फिल्म अभिनेता अनिल कपूर और ड्रमर शिवमणि समेत कई नामचीन हस्तियां भी थीं। घाटों पर विभिन्न आकृतियों की दीपमालिका, भवनों-अट्टालिकाओं पर रंग-बिरंगे विद्युत झालरों से की गई सजावट मन-मस्तिष्क में गहरे तक उतर गई। आतिशबाजी संग भजनों की धुन ने महोत्सव में चार चांद लगा दिए। इसे निहारने के लिए पूरा इलाका गंगा तट पर उमड़ आया। जल दीपोत्सव के इस नयनाभिराम दृश्य को देखकर लोग पलकें झपकाना भूल गए। देशी-विदेशी सभी श्रद्धालु दीपों की अनुपम छटा में खो गए। हजारों नौकाओं, बजड़े व स्टीमर से लोग गंगा किनारे मनाए जाने वाले इस अलौकिक व अनूठे पर्व के साक्षी बने। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। गंगा की लहरों पर नावों-बजड़ों के झुंड इस कदर चले कि जल मार्ग पर भी ट्रैफिक जाम होने लगा। जल परी वाला सुसज्जित बजड़ा हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। सैकड़ों नावों को गेंदा, गुलाब के फूलों से सजाकर उतारा गया।
विदेशी पर्यटकों ने की खूब मस्ती
विदेशी पर्यटकों ने देव दीपावली के इस नजारे को कैमरे में खूब कैद किया। विदेशियों के समूह नावों-बजरों पर सवार होकर अस्सी से राजघाट तक की सैर करते दिखे। सबसे पहले पंचगंगा घाट स्थित ऐतिहासिक हजारे के फलक पर 1001 दीप जलाए गए। अनेक श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा को गंगा पूजन एवं उसमें दीपदान भी किया। गंगा की धारा में बहते हुए अनगिनत दीप पृथ्वी पर उतरे नक्षत्र लोक जैसा दृश्य उपस्थित कर रहे थे। दीपों की रोशनी में नहाए समूचे दृश्य को आंखों में समा लेने के लिए लाखों लोगों की भीड़ घाटों पर उमड़ पड़ी थी। दीपों के प्रज्जवलन का सिलसिला शुरू होते ही हर-हर महादेव’ ‘हर-हर गंगे और धार्मिक गीत संगीत से वातावरण धार्मिक भावना से सराबोर हो गया। दशाश्वमेध और राजेंद्र प्रसाद घाट पर 21-21 दीपों से गंगा आरती हुई। शहीदों की याद में दीपक जलाए गए और उन्हें सलामी दी गई। गंगा में हजारों नावों और बजड़ों पर बैठे दर्शनार्थियों ने इस अद्भुत दृश्य को देखा। इस अवसर पर दीपों के माध्यम से पितरों को श्रद्धांजलि दी गई।
84 घाटों पर रहा श्रद्धालुओं का जमघट
बेशक देव दीपावली का उत्सव संपूर्ण काशी में मनाया गया। लेकिन देखा जाए तो आयोजन का मुख्य केंद्र अहिल्याबाई से लेकर, तुलसी घाट, डा. राजेद्र प्रसाद के बीच पांच घाटों पर केंदित था। देश-विदेश से जुटे पर्यटकों की भीड़ इन्हीं पांच घाटों के ईद-गिर्द जमा थी। राजेंद्र प्रसाद घाट से लेकर प्रयाग घाट तक तीन घाटों पर गंगा सेवा निधि के आयोजन की सीमारेखा थी तो अगले दो घाट यानि दशाश्वमेध और अहिल्याबाई घाट गंगोत्री सेवा समिति की ओर से आयोजित समारोह की भव्यता का नजारा लेने वालों से खचाखच भरे थे। गंगा सेवा निधि के मंच से हरहर महादेव का जयघोष होता तो अहिल्याबाई घाट पर बैठी भीड़ प्रतिउत्तर देती। बता दें, जैसे-जैसे गंगा आरती का समय करीब आता जा रहा था वैसे-वैसे भीड़ का दोहरा दबाव बढ़ता जा रहा था। शहर के सभी मुख्य मार्गों से घाटों की ओर जाने वाले रासतों को बंद कर देने के बाद भी स्थानीय लोग किसी न किसी रास्ते से घाट की तक पहुंच ही जा रहे काशी के प्रमुख घाटों पर उमड़ी देशी-विदेशी दर्शकों की भीड़ के कारण तिल रखने की जगह नहीं थी। लोगों ने शाम से ही घाटों पर बैठकर घंटों उस ऐतिहासिक क्षण की प्रतीक्षा की जब देव दीपावली के दीपों के प्रकाश से पूरा क्षेत्र आलोकित हो उठा। गोधूलि में पंचगंगा घाट स्थित हजारा दीप फलक पर 1001 दीप जलने के बाद बाकी घाटों पर दीप आलोकित होने शुरू हो गए। इसके साथ ही ’हर-हर महादेव ‘हर-हर गंगे’ और धार्मिक गीत-संगीत से पूरा वातावरण सांस्कृतिक धार्मिक भावना से सराबोर हो गया। गंगा में सैकड़ों नावों और बजड़ों पर बैठे दर्शनार्थियों, पर्यटकों ने इस अद्भुत दृश्य को देखा।
बजड़े पर सैलानियों ने खूब उठाया लुत्फ
गंगा में सजी धजी नौकाओं, बजड़ों, मोटरबोटों की संख्या में भी इजाफा होता जा रहा था। भैसासुर, गायघाट, रामघाट, दुर्गा घाट, पंचगंगा घाट, सिंधिया, ललिता घाट, प्राचीन दशाश्वमेध घाट, दशाश्वमेध, केदार घाट, जैन घाट, तुलसी और अस्सी घाट के सामने नौकाओं की भीड़ सर्वाधिक थी। करीब से गंगा आरती देखने की उत्कंठा में हर कोई अपनी नौका को सबसे आगे रखना चाहता था। उधर, कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों सनातनियों ने गंगा में अस्था की डुबकी लगाई। प्रमुख गंगा घाटों पर स्नान और दान के बाद लोगों ने काशी विश्वनाथ, अन्नपूर्णा आदि मंदिरों में पहुंचकर पूजन-अर्चन किया। शनिवार भोर से ही दशाश्वमेध, पंचगंगा, अहिल्या, केदार, अस्सी, गायघाट और भैंसासुर घाटों पर हर-गंगे का उद्घोष सुनाई देने लगा था। वर्ष की सभी 12 पूर्णिमाओं में कार्तिक मास की पूर्णिमा खास महत्व है। इसका स्पष्ट प्रमाण शनिवार गंगा घाटों पर दिखाई पड़ा। गंगा स्नान के लिए रात्रि के प्रथम प्रहर से ही दूर-दराज से आये लाखों नर-नारी घाटों पर जमा हो चुके थे। हरहर महादेव, हरहर गंगे के घोष के साथ भोर से ही शुरू हुआ गंगा स्नान का क्रम दोपहर तक चलता रहा।
‘अमर जवान ज्योति ने बढ़ाई शहीदों के प्रति श्रद्धा
दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से गंगा की महा आरती हुई। शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई जबकि उनके परिजनों का सम्मान हुआ। राज्यपाल राम नाईक ने बजड़े पर बैठकर एक घंटे तक गंगा आरती देखी। घाट के सामने गंगा में बने मंच पर अभिनेता अनिल कपूर के अलावा जन प्रतिनिधियों, सैन्य अफसरों की मौजूदगी में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। दशाश्वमेध घाट पर बनी ‘इंडिया गेट व ‘अमर जवान ज्योति की अनुकृति श्रद्धालुओं व पर्यटकों में देश के लिये शहीद होने वाले सैनिकों के प्रति श्रद्धा व गर्व को बढ़ा रही थी। गंगा के बीच बने मंच से शास्त्रीय गायिका डॉ. रेवती साकलकर के गाइये गणपति जग वंदन भजन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इसके बाद 39 जीटीसी के बैंड ने स्वागत धुन बजाया। प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, पं. श्रीधर पाण्डेय व आचार्य रणधीर के नेतृत्व में 21 अर्चकों ने महाआरती की और 42 कन्याओं ने चंवर डुलाया। करीब एक घंटे तक चली आरती के दौरान हजारों की संख्या में मौजूद लोग बीच-बीच में हर-हर महादेव का जयघोष कर रहे थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रेल मंत्री पीयूष गोयल रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता एसबीआई के जीएम प्रवीण कुमार गुप्ता ने किया। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने अतिथियों का स्वागत रुद्राक्ष की माला व स्मृति चिन्ह से किया।
शहीदों के परिजनों का किया सम्मान
कार्यक्रम में फिल्म अभिनेता अनिल कपूर ने सीआरपीएफ, कोबरा पोस्ट के जवानों के परिजनों को सम्मानित किया। 112 सीआरपीएफ के कांस्टेबल मनोज कुमार सिंह व कान्सटेबल धर्मेंद्र यादव, 206 कोबरा पोस्ट के सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार बिंद के परिजनों को भगीरथ शौर्य सम्मान प्रदान किया गया। इस दौरान अमृतसर ट्रेन हादसे के शिकार लोगों को भी श्रद्धांजलि दी गई। इन मृतकों की आत्माओं की शांति के लिये आकाशदीप छोड़ा गया। भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की स्मृति में भी आकाशदीप छोड़ा गया। ‘अमर जवान ज्योति पर एयर कमोडोर किरण प्रकाश सिंह विर्क, 11वीं एनडीआरएफ के डीआईजी आलोक कुमार सिंह, 39 जीटीसी के बिग्रेडियर एचएस बैंसला, 95सीआरपीएफ के कमांडेंट नरेंद्र पाल सिंह ने पुष्प चक्र अर्पित किये।
अनिल कपूर ने कहा हर-हर महादेव
फिल्म अभिनेता अनिल कपूर ने हर-हर महादेव से काशीवासियों का अभिवादन किया। करीब दो मिनट के संबोधन में अनिल कपूर ने शुरूआत और अंत हर-हर महादेव से किया। हजारों काशीवासियों ने भी हाथ उठाकर अनिल कपूर को हर-हर महादेव से स्वागत किया। अनिल कपूर ने काशी की परंपराओं, संस्कृति को अपने में खास बताया। साथ ही, देवदीपावली के उत्सव में बार-बार आने की इच्छा जताई।
गंगा की जलधारा पर दिखाई उन्हीं की अवतरण गाथा
काशीवासियों के लिए शुक्रवार शाम का वह क्षण अविस्मरणीय रहा, जब गंगा के धरती पर अवतरण की गाथा सदानीरा की जलधारा को ही आधार बनाकर लाइट एंड साउंड शो के जरिये दिखाई गई। भैंसासुर घाट के सामने गंगा में फ्लोटिंग फाउंटेन (तैरता फव्वारा उपकरण) से निकली फुहारों पर कपिल मुनि के शाप से राजा सगर के 60 हजार भस्म पुत्रों की आत्माओं की मुक्ति के लिए भगीरथ के कठोर तप का प्रसंग जीवंत हुआ। पर्यटन विभाग के इस आयोजन में भागीरथी के अवतरण की आधुनिक और आकर्षक प्रस्तुति देख रहे लोग हर-हर महादेव का घोष लगाते रहे। मुख्यमंत्री के आगमन के पहले श्रद्धालुओं को पांच मिनट का यह शो दिखाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहां पहुंचने पर उन्हें काशी की महत्ता दिखाई गई।