बस्ती। इमामबाड़ा शाबान मंजिल में दूसरी मोहर्रम को आयोजित मजलिस को सम्बोधित करते हुए मौलाना मोहम्मद हैदर खां ने कहा कि पैगम्बरे-इस्लाम और उनके सहाबा ने भी इमाम हुसैन का गम मनाया था। इसी लिए पैगम्बर के मानने वाले हुसैन का गम मनाना सुन्नते रसूल मानते हैं।


मौलाना ने कहा कि एक रोज पैगम्बर मस्जिदे-नबवी में असहाब के बीच बैठे हुए थे और उनका छोटा नवासा हुसैन उनकी गोद में था। इसी दौरान हजरत जिब्राईल ने आकर पैगम्बर को बताया कि आप के इस नवासे को आप ही की उम्मत के कुछ लोग तीन दिनों तक भूखा प्यासा रखकर कत्ल कर देंगे। कर्बला की दास्तान सुनकर पैगम्बर बहुत रोए। असहाब को जब कर्बला में होने वाले जुल्म की जानकारी हुई तो आसूंओं से उनकी दाढ़ियां तर हो गई थी। श्री खां ने कहा कि मस्जिदे-नबवी में यह हुसैन की पहली मजलिस थी, जिसके जाकिर रसूल और सुनने वाले उनके असहाब थे। उन्होंने कहा कि पैगम्बर और उनकी बेटी हजरत फात्मा ने इमाम हुसैन की याद मनाए जाने की तमन्ना की थी। अल्लाह ने उनकी इस तमन्ना को पूरा किया।


आज पूरी दुनिया में हर धर्म-सम्प्रदाय में इमाम हुसैन के मानने वाले मौजूद हैं। मोहम्मद रफीक और उनके साथियों ने सोज तथा सुहेल हैदर ने सलाम पेश किया। इससे पहले इमामबाड़ा एजाज हुसैन, इमामबाड़ा सगीर हैदर, इमामबाड़ा रियाजुल हसन, इमामबाड़ा खुर्शीद हसन में भी मजलिस का आयोजन हुआ। सोगवारों ने नौहा व मातम कर इमाम का गम मनाया। अख्तर अब्बास काजमी, हाजी अनवार हुसैन, फरहत हुसैन, सफदर रजा, शमीम हैदर, शम्स आबिद अली खां, जीशान रिजवी, मुन्ने, नकी हैदर खां, सोनू सहित अन्य मजलिस में शामिल रहे।