जौनपुर। राज्य खाद्य आयोग के पूर्णपीठ के सदस्य डा. डीसी मिश्रा एवं श्रीमती सरोज कुमार द्वारा जनपद में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में समीक्षा बैठक की गयी। इस दौरान पाया गया कि जनपद में पूर्ति लिपिकों के 18 पद के सापेक्ष मात्र 7 पूर्ति लिपिक ही कार्यरत हैं तथा कम्प्यूटर आपरेटरों का अभाव है।
आयोग इस मत से सहमत है जिसने अपने स्तर से आग्रह किया कि प्रत्येक ब्लाक, तहसील व खाद्य क्षेत्र में एक-एक तकनीकी खाद्य सहायक व कम्प्यूटर आपरेटर व जिलापूर्ति कार्यालय स्तर पर एक प्रोग्रामर हो जो मूल रूप से तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त हों, को 11-11 माह की संविदा पर 5 वर्ष के लिये उपलब्ध कराया जाय जो जनपद की समस्त तकनीकी  समस्याओं का निराकरण करेंगे और शत-प्रतिशत कम्प्यूटराइजेशन की दिशा में किये जा रहे विभाग के प्रयासों एवं कार्यकलापों को सम्यक रूप से जिलापूर्ति अधिकारी को अवगत कराएंगे।
शिकायतों के निस्तारण के सम्बन्ध में जनपद का कार्य सन्तोषजनक पाया गया। उक्त से यह स्पष्ट हआ कि जिलापूर्ति अधिकारी द्वारा इस दिशा में विशेष रूचि लेकर शिकायतों का निस्तारण किया जा रहा है। फिर भी कुछ बिन्दुओं पर जिलापूर्ति अधिकारी को शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिये निर्देश दिये गये। उन्हें यह भी निर्देशित किया गया कि किसी भी दशा में किसी भी उपभोक्ता की शिकायत अनसुनी नहीं होनी चाहिये। शासन इस सम्बन्ध में बहुत गम्भीर है। ऐसे प्रकरण में कोई शिथिलता क्षम्य नहीं होगी।
जौनपुर में जिलापूर्ति विभाग के अधिकारियों के साथ
समीक्षा बैठक करते राज्य खाद्य आयोग के सदस्यगण।

जनपद के विभागीय कार्यों में अपेक्षित सुधार लाने के लिये उचित दर विक्रेतावार/ब्लकवार एवं जिला स्तर पर गठित सतर्कता समितियों की बैठक 3 माह में करायी जा रही है किन्तु जिलापूर्ति अधिकारी को निर्देशित किया गया कि वे इन समितियों की जनोपयोगी प्रभावी बैठक सुनिश्चित कराकर प्राप्त संस्तुतियों का अनुपालन करने की दिशा में सम्यक कार्यवाही भी सुनिश्चित करें। प्रवर्तन की दशा में यह पाया गया कि जनपद में विगत 6 माह में 7 प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराते हुये 9 लोगों को अभियोजन बनाया गया तथा 1 की गिरफ्तारी हुई है। 37 दुकानें निलम्बित व 48 दुकानें निरस्त हुई हैं। अनियमितता के दृष्टिगत 8,90500 रूपये की धनराशि शासन के पक्ष में जब्त की गयी है तथा 21,53862 रूपये की आवश्यक वस्तुएं शासन के पक्ष में जब्त की गयी है।
जिलापूर्ति अधिकारी को सदस्य डा. डीसीमिश्रा द्वारा इंगित किया गया कि कोई भी अनियमितता पाये जाने पर कार्यवाही सुनिश्चित की जाय और प्रत्येक दशा में राष्ट्रीय खाद्य कानून का दुरूपयोग न हों। आयोग की चर्चा में सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु यह रहा कि वर्तमान में हुये खाद्यान्न घोटाले के परिप्रेक्ष्य में विभाग की प्रतिष्ठा को बनाये रखने के लिये उपयुक्त होगा कि न केवल जिले  में, अपितु प्रदेश के सभी जनपदों में पूर्ति लिपिकों के रिक्त पदों के सापेक्ष तकनीकी खाद्य सहायक व अस्थायी कम्प्यूटर आपरेटर जो कम्प्यूटर का समस्त कार्य करने में सक्षम हों और इनके लिये आवश्यक समस्त अर्हताएं पूर्ण करता हों, को संविदा पर नियुक्ति 11 माह हेतु की जाय।
इस हेतु खाद्य आयोग द्वारा शासन से अनुरोध किया गया कि पूर्ति लिपिकों की पात्रता की शर्तों में आवश्यक संशोधन करें और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से नियमानुसार इनकी नियुक्ति सुनिश्चित करें। जहां तक जिलों मेे कम्प्यूटर आपरेटरों के कार्यों का प्रश्न है, प्रत्येक पूर्ति निरीक्षकवार, क्षेत्रीय खाद्य अधिकारीवार एवं जिलापूर्ति अधिकारी के प्रशासनिक नियंत्रण में 11 माह की संविदाओं पर आउट सोर्सिंग से तकनीकी सहायकों की तैनाती वैकल्पिक रूप में अस्थायी रूप से की जाय, ताकि तकनीकी ज्ञान की कमी का निराकरण किया जा सके।
ये नियुक्तियां जनपद स्तर पर एनआईसी के माध्यम से जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी समिति द्वारा की जाय जिसके सदस्य सचिव जिलापूर्ति अधिकारी होंगे। इस अवसर पर जिलापूर्ति अधिकारी अजय प्रताप सिंह, क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी अरूण कुमार सहित तमाम अधिकारी, कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।