जौनपुर। गरुडमहापुराण बड़ा ही पवित्र और पुण्यदायक है। वैसे तो जो भी मनुष्य इसका पाठ करता है या सुनता है, अन्त में उसे स्वर्ग कीप्राप्ति होती है। गरुडमहापुराण का श्रवण व पठन-पाठन वैसे तो सर्वदा फलदायी है। किन्तु पितृपक्ष में इसका श्रवण व पठन-पाठन विशेष फलदायी होता है।

महापुराण के महत्व का वर्णन करते हुए पंडित मुरारी श्याम पाण्डेय व्यास कहते है कि जैसे देवों में जनार्दन श्रेष्ठ हैं और आयुधों में सुदर्शन श्रेष्ठ है, वैसे ही पुराणों में गरुडपुराण हरि के तत्त्व निरूपण में मुख्य कहा गया है। जो मनुष्य इस पुराण के एक भी श्लोक का पाठ करता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती। इसके मात्र आधे श्लोक का पाठ करने से निश्चित ही दुष्ट शत्रु का क्षय हो जाता है। इस महापुराण को पढ़ने एवं सुनने से मनुष्य के धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष-इन चारों पुरुषार्थो की सिद्धि हो जाती है।
यह पावन पुराण सभी पापों का विनाशक एवं सुननेवालों की समस्त कामनाओं का पूरक है। इसका सदैव श्रवण करना चाहिए। जो मनुष्य इस महापुराण को सुनता है या इसका पाठ करे तो वह निष्पाप होकर यमराज की भयंकर यातनाओं को तोड़कर स्वर्ग को प्राप्त करता है।